अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की कि अमेरिका ने ईरान के तीन महत्वपूर्ण न्यूक्लियर साइट्स फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर "बहुत सफल" हमला किया है. इस हमले के बाद मिडिल ईस्ट में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है.
कतर ने जताई चिंता
कतर, जो मध्य-पूर्व में अमेरिका के सबसे बड़े सैन्य अड्डे का मेजबान है. कतर ने रविवार को कहा कि उसे ईरान की न्यूक्लियर सुविधाओं पर अमेरिकी हवाई हमलों के गंभीर परिणामों का डर है. कतर, जो अमेरिकी सैन्य सहयोगी है, इस हमले के बाद खुद को एक मुश्किल स्थिति में महसूस कर रहा है.
ओमान का विरोध
ओमान, जो वाशिंगटन और तेहरान के बीच न्यूक्लियर वार्ता में मध्यस्थता का कार्य कर रहा था, उसने भी इस हमले की कड़ी निंदा की है. ओमान का यह बयान इस बात का संकेत है कि वह इस हमले के बाद क्षेत्रीय स्थिरता के बारे में चिंतित है और यह कदम वार्ता प्रक्रिया को भी प्रभावित कर सकता है.
हूती विद्रोहियों करेंगे अमेरिका पर हमला
यही नहीं, हौथी विद्रोहियों ने ग़ज़ा संघर्ष में भी दखल देते हुए रेड सी में शिपिंग रूट्स पर हमले किए हैं. हौथियों ने ग़ज़ा के खिलाफ इज़राइल का समर्थन करने वाले शिप्स को निशाना बनाया. उनका यह कदम फिलिस्तीनियों और हमास के प्रति अपने समर्थन में है.
वहीं, हूती विद्रोहियों ने अमेरिका को खुली चेतावनी दी है कि वह रेड सी में अमेरिकी जहाजों के ऊपर हमला करने वाला है. बता दें कि हूती विद्रोहियों को ईरान समर्थन प्राप्त है, ऐसे में क्लियर है कि ये हमला और भी करेंगे.
क्या आगे होगा?
इस घटनाक्रम से यह साफ़ हो गया है कि मध्य-पूर्व में तनाव और बढ़ने वाला है. अमेरिकी हमले से ईरान और उसके सहयोगी देशों की प्रतिक्रिया बेहद महत्वपूर्ण होगी. कतर, ओमान और अन्य क्षेत्रीय देशों की भूमिका भी संकट के समाधान में अहम हो सकती है. क्या यह क्षेत्र और वैश्विक राजनीति को प्रभावित करेगा? यह सवाल अब सभी के ज़हन में है.
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