/newsnation/media/media_files/2025/09/30/israeli-pm-2025-09-30-19-00-58.jpg)
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू Photograph: (ANI)
गाजा में जारी युद्ध को रोकने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक 20-बिंदु शांति प्रस्ताव पेश किया. इस प्रस्ताव का मकसद संघर्षविराम, बंधकों की रिहाई और गाजा में एक अंतरिम प्रशासन की स्थापना करना है. लेकिन इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने साफ शब्दों में कहा है कि वह किसी भी हालत में स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य को स्वीकार नहीं करेंगे.
पीएम ने साफ किया इनकार
पीएम नेतन्याहू ने यरूशलेम में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “Absolutely not… हम किसी भी रूप में फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा नहीं देंगे. ट्रम्प हमारी इस स्थिति को अच्छी तरह समझते हैं. ” उन्होंने आगे यह भी कहा कि गाजा के अधिकांश हिस्सों में इजराइली सुरक्षा बलों का नियंत्रण जारी रहेगा.
ये गाजा को फिर बनाने का रास्ता?
ट्रम्प की ओर से रखी गई इस शांति योजना में गाजा का शासन एक तकनीकी और गैर-राजनीतिक बोर्ड को सौंपने का सुझाव है, जो अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षण में काम करेगा. प्रस्ताव के तहत पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर को भी इस बोर्ड का हिस्सा बनाने की बात सामने आई है. इसका उद्देश्य गाजा का पुनर्निर्माण, आर्थिक सहायता और स्थिरता बहाल करना है.
ट्रंप ने दिया समर्थन
हालांकि नेतन्याहू की कड़ी प्रतिक्रिया ने इस योजना को लेकर संदेह बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा कि अगर हामास इस समझौते को खारिज करता है, तो इजराइल अपनी सुरक्षा के लिए स्वतंत्र कार्रवाई करेगा. ट्रम्प ने भी इजराइल को इस स्थिति में “पूर्ण समर्थन” देने का भरोसा दिलाया.
कई देशों ने दे दिया है मान्यता
दुनिया के कई देश पहले ही फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दे चुके हैं. यूरोप और अरब देशों का एक बड़ा वर्ग इस दिशा में आगे बढ़ चुका है. लेकिन इजराइल और अमेरिका लंबे समय से इस विचार का विरोध करते आए हैं.
एक्सपर्ट्स ने क्या कहा?
विशेषज्ञों का मानना है कि नेतन्याहू की सख्त ज़ुबान इस बात का संकेत है कि फिलहाल शांति प्रक्रिया का रास्ता आसान नहीं होने वाला. हामास की प्रतिक्रिया भी अहम होगी क्योंकि यदि उसने ट्रम्प योजना को नकार दिया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं.
क्या ये सिर्फ बयानबाजी है?
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या गाज़ा में स्थायी शांति संभव है, या फिर यह योजना भी केवल राजनीतिक बयानबाज़ी बनकर रह जाएगी.