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गाजा में संकट Photograph: (X)
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गाजा में संकट Photograph: (X)
Israel Hamas War: गाजा में मानवीय संकट अपनी सबसे खतरनाक सीमा पर पहुंच गया है. संयुक्त राष्ट्र के ह्यूमैनिटेरियन चीफ टॉम फ्लेचर ने एक चौंका देने वाली चेतावनी दी है. “अगर अगले 48 घंटों में मदद नहीं पहुंची, तो 14,000 बच्चे अपनी जान गंवा सकते हैं.” ग़ाज़ा में बीते तीन महीनों से जारी इसराइल की नाकेबंदी के कारण खाद्य सामग्री, दवाइयों और पीने के पानी जैसी बुनियादी जरूरतें लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैं.
UN की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय करीब 2.90 लाख बच्चे कुपोषण के गंभीर स्तर पर हैं, जिनके शरीर में ताकत की आखिरी बूंद भी खत्म हो चुकी है. भूख, बीमारी और निराशा के इस त्रासदी भरे माहौल में अब तक 57 लोगों की मौत सिर्फ भूख से हो चुकी है, जिनमें से अधिकतर मासूम बच्चे हैं.
ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इजरायल ने भूख को एक हथियार बना लिया है. उनका दावा है कि युद्ध की आड़ में इजरायल ने मानवीय सहायता को जानबूझकर रोका है, जिससे लाखों लोगों को जिंदा रहने के लिए जरूरी चीजें भी नसीब नहीं हो रहीं. मंत्रालय के मुताबिक, अब तक कम से कम 53,573 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, और 121,688 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
हालात इतने गंभीर हैं कि दो करोड़ से ज़्यादा लोग अपने घर छोड़कर विस्थापित जीवन जीने को मजबूर हैं. शरणार्थी शिविरों में जगह कम पड़ चुकी है, और जो थोड़ी-बहुत सहायता पहुंच भी रही है, वह जरूरतों के मुकाबले न के बराबर है.
टॉम फ्लेचर ने दुनिया भर की सरकारों और राहत संगठनों से तत्काल कार्रवाई की अपील की है. उन्होंने कहा — “अब शब्दों का नहीं, कार्यवाही का समय है. अगर हमने 48 घंटे गंवा दिए, तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा.”
मानवाधिकार संगठनों और स्वतंत्र एजेंसियों ने भी ग़ाज़ा की स्थिति को पूर्ण मानवीय त्रासदी बताया है. उनके अनुसार, यह सिर्फ युद्ध नहीं, बल्कि एक पीढ़ी की सामूहिक हत्या है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी इसमें बराबर की जिम्मेदार है.
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