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ब्रह्मोस मिसाइल की मांग Photograph: (NN)
ऑपरेशन सिंदूर के सफलता के बाद भारत की सैन्य क्षमता को पूरी दुनिया ने गंभीरता से नोटिस किया है. यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि एक स्पष्ट संदेश था कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक मोड में आ चुका है. इस बदलाव की सबसे बड़ी मिसाल ब्रह्मोस मिसाइल बनी है.
इंटरनेशनल मार्केट में ब्रह्मोस की बढ़ी डिमांड
अब भारत को सिर्फ एक सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि एक विश्वसनीय रक्षा साझेदार के रूप में देखा जा रहा है. सऊदी अरब, यूएई, कतर, ओमान, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और मिस्र जैसे देशों ने भारत से हथियार खरीदने में रुचि दिखाई है. खासतौर पर ब्रह्मोस मिसाइल की मांग तेजी से बढ़ रही है, जो भारत-रूस की संयुक्त प्रोजेक्ट है.
स्पीड इतनी कि दुश्मन को लगा जाए चकमा
इस मिसाइल की सबसे बड़ी ताकत इसकी रफ्तार है. Mach 2.8 से Mach 3 तक, यानी यह आवाज की गति से करीब तीन गुना तेज है. इसका मतलब है कि दुश्मन को रिएक्शन का मौका भी नहीं मिलता.
अब लेटेस्ट वर्जन में होगा ब्रह्रोस
अगर हम इसकी शुरुआती रेंज की बात करे तो 290 किलोमीटर थी, अब नई वर्जन की रेंज 450 से 800 किलोमीटर तक आएगी. यह जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च हो सकती हैं यानी आप यूं समझ लीजिए कि तीनों सेनाएं इसका यूज कर सकती हैं. GPS और inertial guidance सिस्टम के ज़रिए यह अत्यंत सटीक निशाना लगाती है. कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता इसे रडार से छिपाने में मदद करती है.
पाकिस्तान के कई शहर निशाने पर
ब्रह्मोस का परीक्षण और इस्तेमाल पाकिस्तान को सीधा संदेश देता है कि भारत अब किसी भी उकसावे को अनदेखा नहीं करेगा. इसकी रेंज में इस्लामाबाद, लाहौर और पाकिस्तान के अन्य प्रमुख शहर आसानी से आ जाएंगे. अगर पाकिस्तान इन इलाकों में भी आतंकी ठिकानों को पनाह देता है तो भारतीय सेना इन इलाकों में भी तबाही मचा सकती है.
लखनऊ में बैठा गई नई यूनिट
ब्रह्मोस की ये ताकत अब न सिर्फ दुश्मनों को सावधान कर रही है, बल्कि सहयोगी देशों को भी आकर्षित कर रही है. भारत ने अपने रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जिस रणनीति पर काम शुरू किया था, ऑपरेशन सिंदूर और ब्राह्मोस की सफलता ने उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है. हाल ही में यूपी के राजधानी लखनऊ में भी ब्रह्मोस की यूनिट बैठा गई है.
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