मोहम्मद यूनुस की बढ़ीं मुश्किलें, क्या बांग्लादेश में फिर होने वाला है कुछ बड़ा?

हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और बांग्लादेश सेना के प्रमुख वॉकर-उज-ज़मान के बीच एक नया तनाव उभर कर सामने आया है, जिसके कारण स्थिति बिगड़ते हुए नजर आ रही है.

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Ravi Prashant
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बांग्लादेश संकट Photograph: (NN)

बांगलादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनुस और बांगलादेश आर्मी के प्रमुख वाकर-उज़-ज़मान के बीच हाल ही में एक नई तनातनी सामने आई है, जिसे लेकर स्थिति और भी जटिल होती जा रही है. आर्मी चीफ ने एक आपात बैठक बुलाकर इस मुद्दे पर चर्चा करने का संकेत दिया है, जिसमें मुख्य चिंता युनुस के नेतृत्व में सरकार द्वारा चुनावों में देरी और विदेशों के संभावित हस्तक्षेप को लेकर है. आर्मी सूत्रों के मुताबिक, आर्मी चीफ का मानना है कि युनुस विदेशी ताकतों के प्रभाव में हैं, और यही वजह है कि देश में स्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. 

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चुनाव करने के पक्ष में आर्मी चीफ

आर्मी की ओर से सबसे बड़ी चिंता युनुस द्वारा कई कैदियों को कार्यकारी आदेशों के तहत रिहा किया जाना है. इसके अलावा, आर्मी को यह भी भय है कि युनुस द्वारा नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) की नियुक्ति से सेना में विभाजन हो सकता है, क्योंकि यह कदम बिना आर्मी चीफ की सहमति के उठाया गया था. सूत्रों के अनुसार, यह कदम सेना में उच्च पदस्थ अधिकारियों के बीच असहमति को और बढ़ा सकता है, जो युनुस के खिलाफ है और जल्द से जल्द चुनाव कराने का पक्षधर है.

आर्मी चीफ चुनाव के पक्ष में? 

आर्मी चीफ वाकर-उज़-ज़मान ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी तरह के नागरिक दबाव में नहीं आएंगे और उन्होंने विरोध प्रदर्शन को अपनी दफ्तर और घर की ओर बढ़ने से रोक दिया है. वह युनुस के साथ शुरुआत में सहयोग करना चाहते थे, लेकिन अब वह चुनाव जल्द से जल्द कराने के पक्ष में हैं, ताकि लोकतंत्र बहाल हो सके. इसके अलावा, आर्मी चीफ ने सभी प्रमुख राजनीतिक दलों से चुनाव में भाग लेने के लिए संपर्क साधा है, ताकि स्थिरता कायम की जा सके.

क्या सेना में विभाजन की बू? 

बांगलादेश आर्मी में आंतरिक मतभेद बढ़ते जा रहे हैं. आर्मी चीफ वाकर-उज़-ज़मान को भारतीय समर्थक और संतुलित नेता के रूप में देखा जाता है, जबकि क्वार्टरमास्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल फईज़ुर रहमान को पाकिस्तान समर्थक और इस्लामिस्ट विचारधारा का समर्थक माना जाता है, जो उन्हें आर्मी चीफ के दृष्टिकोण से अलग करता है. यह आंतरिक मतभेद अब तक कई तनावपूर्ण स्थितियों को जन्म दे चुके हैं. 

आईएसआई वर्सेज प्रो आवामी लीग

इसके अलावा, बांगलादेश आर्मी के भीतर प्रो-आईएसआई (पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी) और प्रो-आवामी लीग (शेख हसीना की पार्टी) के बीच गहरे मतभेद उभरकर सामने आए हैं. इससे पहले खबरें आई थीं कि क्वार्टरमास्टर जनरल के एक दौरे में पाकिस्तान के ISI प्रमुख के साथ मुलाकात ने आर्मी में और अधिक असहमति और तनाव को जन्म दिया.

आर्मी चीफ का कड़ा बयान

आर्मी चीफ ने हाल ही में एक सार्वजनिक बयान में संभावित तख्तापलट की चेतावनी दी थी. उनका कहना था कि अगर स्थिति और नियंत्रण से बाहर गई तो देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पहले ही चेतावनी दी थी, ताकि कोई भविष्य में यह न कहे कि उन्होंने समय रहते सूचित नहीं किया.

बांगलादेश में राजनीतिक संकट और सेना के भीतर चल रहे मतभेद देश की स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं. आर्मी चीफ वाकर-उज़-ज़मान की सरकार के खिलाफ उठती आवाज़ें और युनुस के नेतृत्व में होने वाली प्रशासनिक गतिविधियां, इस संकट को और बढ़ा सकती हैं. राजनीतिक दलों के बीच संवाद और चुनावों की तात्कालिक आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन इसका हल आने वाले समय में ही स्पष्ट होगा. 

Sheikh Hasina Bangladesh muhammad yunus
      
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