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जर्नी ऑफ नील मोहल Photograph: (X)
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जर्नी ऑफ नील मोहल Photograph: (X)
Youtube CEO Neal Mohan journey : सिलिकॉन वैली में नील मोहन का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. हालांकि आम जनता उन्हें कम ही जानती है, लेकिन टेक वर्ल्ड में उन्हें डिजिटल एड की दुनिया को फिर से परिभाषित करने और यूट्यूब के प्रोडक्ट विजन को दिशा देने के लिए जाना जाता है.भारतीय मूल के इस अमेरिकी टेक लीडर ने हमेशा सुर्खियों से दूर रहकर ऐसे निर्णय लिए, जिन्होंने गूगल और यूट्यूब को वैश्विक ताकतों में बदल दिया.
हाल ही में ज़ेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामत के पॉडकास्ट में नील मोहन की मौजूदगी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया. एक समय गूगल ने नील मोहन को ट्विटर (अब X) में शामिल होने से रोकने के लिए 100 मिलियन डॉलर (लगभग 830 करोड़ रुपये) की भारी-भरकम पेशकश की थी.
यह किस्सा 2011 का है, जब नील मोहन को लेकर गूगल और ट्विटर के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा छिड़ गई थी. उस समय ट्विटर (X) एक स्थायी बिजनेस मॉडल की तलाश में था और नील मोहन को बतौर चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर लाने की कोशिश कर रहा था. दिलचस्प बात ये रही कि ट्विटर की ओर से यह प्रयास डेविड रोसेनब्लैट कर रहे थे, जो उस समय ट्विटर के बोर्ड में थे और नील के पूर्व सहयोगी भी रह चुके थे.
गूगल ने इस चुनौती का जवाब बेहद आक्रामक तरीके से दिया. टेकक्रंच के मुताबिक, कंपनी ने नील मोहन को रोकने के लिए 100 मिलियन डॉलर से ज़्यादा के restricted stock units (RSUs) का ऑफर दिया, जो कुछ वर्षों में धीरे-धीरे वेस्ट होने थे.
नील मोहन ने 1996 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली और अपने करियर की शुरुआत एंडरसन कंसल्टिंग (अब एक्सेंचर) से की. इसके एक साल बाद उन्होंने एक छोटी-सी स्टार्टअप कंपनी NetGravity जॉइन की, जिसे बाद में DoubleClick ने खरीद लिया. यही से शुरू हुआ उनका असली टेक्नोलॉजी करियर.
DoubleClick में नील ने सर्विस से लेकर सेल्स ऑपरेशंस तक कई जिम्मेदारियां निभाईं और फिर वाइस प्रेसिडेंट ऑफ बिजनेस ऑपरेशंस बने. वहां उनकी रणनीतिक सोच और फैसले लेने की क्षमता ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई. डेविड रोसेनब्लैट के साथ मिलकर उन्होंने कंपनी को फिर से खड़ा किया और उसका नतीजा रहा कि 2007 में गूगल ने DoubleClick को 3.1 बिलियन डॉलर में खरीद लिया.
गूगल के साथ रहते हुए नील मोहन ने विज्ञापन प्लेटफॉर्म्स के विकास में केंद्रीय भूमिका निभाई. 2011 तक वे गूगल के Chief Product Officer बन गए थे और यूट्यूब के प्रोडक्ट स्ट्रैटेजी को आकार देने लगे थे. उन्होंने यूट्यूब को एक साधारण वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म से बदलकर एक वाणिज्यिक और क्रिएटर-फ्रेंडली प्लेटफॉर्म बना दिया.
आज वे यूट्यूब के CEO हैं और कंपनी की आगे की दिशा तय कर रहे हैं. वो शायद कैमरे के सामने कम आते हों, लेकिन पर्दे के पीछे उनके फैसले दुनियाभर में करोड़ों दर्शकों और क्रिएटर्स की डिजिटल दुनिया को आकार दे रहे हैं.
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