क्या गिद्ध हैं अभी जिंदा, सोशल मीडिया पर छिड़ी बड़ी बहस, आपको भी नहीं पता है ना जवाब?

क्या वाकई में इस धरती से गिद्धों की कहानी खत्म हो गई? क्या अब गिद्ध नहीं बचे हैं? ये सवाल इसलिए भी सामने आय़ा है क्योंकि सोशल मीडिया पर अक्सर बहस देखने को मिलती है कि इस धरती पर गिद्ध अब नहीं रहे. ऐसे में आज हम आपको इस खबर में बताएंगे कि गिद्ध जिंदा है या नहीं.

क्या वाकई में इस धरती से गिद्धों की कहानी खत्म हो गई? क्या अब गिद्ध नहीं बचे हैं? ये सवाल इसलिए भी सामने आय़ा है क्योंकि सोशल मीडिया पर अक्सर बहस देखने को मिलती है कि इस धरती पर गिद्ध अब नहीं रहे. ऐसे में आज हम आपको इस खबर में बताएंगे कि गिद्ध जिंदा है या नहीं.

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Ravi Prashant
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dangerous photo of a vulture

क्या गिद्ध हैं जिंदा? Photograph: (Meta AI/NN)

सोशल मीडिया पर अक्सर एक सवाल को लेकर बहस देखी जाती है. “क्या गिद्ध अब इस धरती पर बचे हैं?” कई लोग मानते हैं कि गिद्ध अब पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं, तो कुछ लोग कहते हैं कि वो सिर्फ पहाड़ी इलाकों में ही बचे हैं. लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज्यादा गंभीर है और वैज्ञानिक रूप से भी चिंताजनक है. 

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क्या गिद्ध अब भी धरती पर मौजूद हैं?

जी हां, गिद्ध अब भी इस धरती पर मौजूद हैं. भारत में गिद्धों की कई प्रजातियां पाई जाती थीं, जिनमें से अधिकतर अब विलुप्ति के कगार पर हैं. एक समय था जब गांवों और शहरों में मरे हुए जानवरों के आसपास बड़ी संख्या में गिद्ध देखे जा सकते थे, लेकिन आज उनकी उपस्थिति बेहद दुर्लभ हो गई है. 

गिद्ध दिखते क्यों नहीं हैं?

गिद्धों की संख्या में भारी गिरावट का कारण है डायक्लोफेनाक (Diclofenac) नामक दर्द निवारक दवा, जिसे मवेशियों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता था. जब ये मवेशी मरते थे और गिद्ध उनका मांस खाते थे, तो ये ज़हर उनके शरीर में चला जाता था और उनकी किडनी फेल हो जाती थी. इसके चलते 1990 के दशक के बाद गिद्धों की आबादी में 95% से अधिक की गिरावट देखी गई.

विलुप्ति की ओर कैसे बढ़े गिद्ध?

इसमें सबसे बड़ी भूमिका डाइक्लोफेनाक दवा की रही है. वहीं, पेड़ों की कटाई और जंगलों के विनाश के कारण गिद्धों समेत कई पक्षियों के घर खत्म हो गए. इसके अलावा मवेशियों के शवों को समय से पहले दफना दिए जाने या जला दिए जाने के कारण भी गिद्ध भूखमरी के शिकार हुए. 

सरकार और संस्थाओं के प्रयास

भारत सरकार ने वर्ष 2006 में डायक्लोफेनाक के पशु उपयोग पर प्रतिबंध लगाया. इसके साथ ही कई राज्यों में “गिद्ध संरक्षण केंद्र” स्थापित किए गए हैं, जहां इन पक्षियों की ब्रीडिंग कर उन्हें दोबारा जंगलों में छोड़ा जा रहा है. गिद्ध अभी पूरी तरह से विलुप्त नहीं हुए हैं, लेकिन वे अत्यंत संकटग्रस्त प्रजातियों में गिने जाते हैं. इनके संरक्षण के लिए जागरूक होना होगा, क्योंकि गिद्ध प्रकृति की सफाई करने वाले सबसे अहम जीवों में से एक हैं, अगर ये नहीं बचे, तो पर्यावरणीय असंतुलन और बीमारियों का खतरा और बढ़ सकता है.

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