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किसके जमीन पर? Photograph: (Freepik)
देश में इन दिनों वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है. इसी बहस के बीच अब ताजमहल की जमीन को लेकर सवाल उठने लगे हैं, क्या ताजमहल हिंदू राजा की जमीन पर बना है? हर कोई जानना चाहता है कि ताजमहल की नींव किसकी जमीन पर रखी गई थी. कुछ लोग कह रहे हैं कि इसका निर्माण वक्फ बोर्ड की ज़मीन पर हुआ था और कुछ लोग कह रहे हैं कि इसका निर्माण हिंदुओं की ज़मीन पर हुआ था. हम आपको इस खबर में यही बताएंगे कि आखिर किसकी जमीन पर बना था?
आखिर किसकी थी जमीन?
इतिहास के पन्नों को खंगालें तो हमें इसका जवाब मिलता है मुगलकालीन लेखक अब्दुल हमीद लाहौरी की किताब बादशाहनामा में. यह किताब मुगल सम्राट शाहजहां के शासनकाल की आधिकारिक जीवनी मानी जाती है. इसमें दर्ज डिटेल्स के अनुसार, ताजमहल की जमीन राजा जय सिंह की थी.
वैध तरीके से हुआ लैंड एक्वायर
जब शाहजहां को अपनी बेगम मुमताज़ महल के लिए मकबरा बनवाने के लिए एक उपयुक्त स्थान की तलाश थी, तो उनकी नज़र यमुना किनारे इस खास ज़मीन पर पड़ी. उन्हें यह जगह इतनी पसंद आई कि उन्होंने राजा जय सिंह से यह ज़मीन लेने का मन बनाया. ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, शाहजहां ने राजा जय सिंह को इसके बदले आगरा में चार हवेलियां दी थीं, जो उस वक्त काफी कीमती मानी जाती थीं. यह भूमि लेन-देन आपसी सहमति और मुआवज़े के आधार पर हुआ था.
दोनों पक्ष के सहमति से बनी बात
इस तथ्य को खुद मुगलों के ही दस्तावेजों में स्वीकार किया गया है, जो यह दर्शाता है कि ताजमहल की जमीन न तो किसी वक्फ की थी और न ही जबरन कब्जा की गई. बल्कि यह एक वैध लेन-देन था जिसमें दोनों पक्ष सहमत थे. हाल ही में सोशल मीडिया और विभिन्न मंचों पर ताजमहल को वक्फ संपत्ति बताने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक यह दावा ठोस आधार पर नहीं टिका है.
ऐसे में जब वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की जांच और पारदर्शिता की मांग हो रही है, ताजमहल की जमीन को लेकर उठे सवाल एक बार फिर हमें इतिहास के उन हिस्सों की ओर मोड़ते हैं, जिन पर अब तक कम चर्चा हुई है.
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