तीन साल से बेरोजगार युवक की पोस्ट ने मचाया सोशल मीडिया पर बवाल, ‘RIP’ बैनर ने खींचा ध्यान

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है, इस पोस्ट को देखने के बाद हर किसी ने हैरानी जताई है. इसमें खुद को “लोकलाइज़ेशन प्रोजेक्ट मैनेजर” बताने वाले प्रशांत ने अपनी पोस्ट में कहा कि वह पिछले तीन वर्षों से बेरोजगारी और लोनलीनेस में जी रहे हैं.

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है, इस पोस्ट को देखने के बाद हर किसी ने हैरानी जताई है. इसमें खुद को “लोकलाइज़ेशन प्रोजेक्ट मैनेजर” बताने वाले प्रशांत ने अपनी पोस्ट में कहा कि वह पिछले तीन वर्षों से बेरोजगारी और लोनलीनेस में जी रहे हैं.

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Ravi Prashant
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वायरल पोस्ट Photograph: (Linkedin)

बेंगलुरु के एक युवक प्रशांत हरिदास की लिंक्डइन पोस्ट ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है. खुद को “लोकलाइज़ेशन प्रोजेक्ट मैनेजर” बताने वाले प्रशांत ने अपनी पोस्ट में कहा कि वह पिछले तीन वर्षों से बेरोजगारी और लोनलीनेस में जी रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि नौकरी पाने के लिए खुद पर काफी खर्च किया. जैसे की खुद को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करना, ग्रूमिंग पर पैसे लगाना लेकिन इसके बाद भी उन्हें बार-बार उद्योग के नेताओं की ओर से “घोस्ट” कर दिया गया.

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सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है फोटो

प्रशांत की पोस्ट में सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाली चीज़ उनकी एक तस्वीर थी जिसमें वह “रेस्ट इन पीस” बैनर के साथ नजर आ रहे हैं. बैनर पर लिखा था – “सभी से नफरत मिली, दर्द और पीड़ा से प्यार मिला.” इस तस्वीर ने सोशल मीडिया यूज़र्स को झकझोर दिया.

मैं खुद को नहीं मारूंगा? 

हालांकि प्रशांत ने साफ किया कि उनका खुद को नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने लिखा, “मैं खुद को नहीं मारने वाला हूं. मुझे अभी कई काम करने हैं, नई चीज़ें खाने और घूमने जाना है. लेकिन यह पोस्ट मेरे हारे हुए मन की अभिव्यक्ति है, जो लगातार रिजेक्शन और बेरोजगारी से टूट चुका है.”

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वायरल पोस्ट Photograph: (Linkedin)

 

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अब मुझे कोई नौकरी नहीं देगा

उन्होंने आगे लिखा, “थैंक यू लिंक्डइन, थैंक यू इंडस्ट्री लीडर्स – मुझे नजरअंदाज करने और मुझे बार-बार उम्मीद देकर हताश करने के लिए. मुझे पता है कि इस पोस्ट के बाद कोई मुझे नौकरी नहीं देगा, चाहे मेरे पास कितनी भी सिफारिशें क्यों न हों.”

इस भावुक पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सहानुभूति जताई और कुछ ने तो उन्हें नौकरी के ऑफर भी दिए. यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि अब भी मानसिक स्वास्थ्य, बेरोजगारी और इंसानी जुड़ाव कितने बड़े मुद्दे हैं, जिन पर गंभीरता से बात की जानी चाहिए.

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