History of Khonoma: भारत के इस गांव में नहीं होते हैं दुकानदार, सामान खरीदने वाले चलाते हैं दुकान

History of Khonoma: सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि लड़की एक ऐसे गांव के बारे में बताती है जो अपने आप में अनोखा है. इस वीडियो को देखने के बाद सभी ने हैरानी जताई है.

History of Khonoma: सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि लड़की एक ऐसे गांव के बारे में बताती है जो अपने आप में अनोखा है. इस वीडियो को देखने के बाद सभी ने हैरानी जताई है.

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Ravi Prashant
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History of Khonoma

खोनोमा गांव का इतिहास Photograph: (instagram/wanderlust_himani)

History of Khonoma: सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक युवती दावा कर रही है कि नागालैंड के एक गांव में कई दुकानें हैं, लेकिन उन दुकानों पर कोई मौजूद नहीं होता. यह वीडियो इंस्टाग्राम यूजर और ट्रैवल ब्लॉगर हिमानी ने अपने अकाउंट पर शेयर किया है. इस वीडियो के सामने आने के बाद लोग इस अनोखे गांव के बारे में जानने के लिए उत्सुक हो गए हैं.

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भारत का पहला ग्रीन विलेज?

जानकारी के मुताबिक, यह गांव नागालैंड का खोनोमा है, जिसे भारत का पहला ‘ग्रीन विलेज’ कहा जाता है. यह न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जाना जाता है. खोनोमा गांव को ‘योद्धा गांव’ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान उग्र प्रतिरोध का केंद्र था.

क्यों है खोनोमा इतना खास?

खोनोमा गांव की सबसे बड़ी खासियत इसका पर्यावरण संरक्षण को लेकर किया गया प्रयास है. यहां के लोग प्रकृति को संरक्षित करने के लिए सामूहिक रूप से काम करते हैं. यह गांव भारत का पहला ग्रीन विलेज बनने का गौरव प्राप्त कर चुका है, जिसका मतलब है कि यहां पर्यावरण संरक्षण को लेकर खास नियम बनाए गए हैं और उनका पालन किया जाता है. इसके अलावा, इस गांव का इतिहास भी बेहद दिलचस्प है. 19वीं सदी में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ इस गांव के लोगों ने जमकर विद्रोह किया था. खोनोमा को नागा विद्रोहों का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है.

दुकानें खुली रहती हैं लेकिन अंदर कोई नहीं रहता

वायरल वीडियो में जिस अनोखी बात का जिक्र किया गया है, वह है गांव की दुकानें. बताया जाता है कि इस गांव में कई दुकानें हैं, लेकिन उनमें कोई दुकानदार नहीं बैठता. लोग अपनी जरूरत का सामान खुद उठाते हैं और तय कीमत के अनुसार पैसे रखकर चले जाते हैं.

यह इस गांव की ईमानदारी और आपसी विश्वास को दर्शाता है. खोनोमा न केवल इतिहास और संस्कृति में समृद्ध है, बल्कि यह आज भी दुनिया के सामने एक मिसाल पेश कर रहा है कि कैसे पारंपरिक जीवनशैली और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ आगे बढ़ाया जा सकता है.

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