5 लोगों का खाते थे खाना, पटियाला पैग के थे शौकीन, है अजीबोगरीब इस महाराजा की कहानी

Patiala Maharaja Bhupinder Singh: आज़ादी से पहले भारत में सैकड़ों रियासतें थीं, और हर रियासत की अपनी अनोखी एक कहानी थी. कुछ अपनी बहादुरी के लिए मशहूर थीं, तो कुछ अपनी शानो-शौकत और विलासितापूर्ण जीवनशैली के लिए, हम आपको आज इस खबर में एक ऐसे ही राजा के बारे में बताएंगे, जिसे खानपान को लेकर हर जगह चर्चा होती थी.

Patiala Maharaja Bhupinder Singh: आज़ादी से पहले भारत में सैकड़ों रियासतें थीं, और हर रियासत की अपनी अनोखी एक कहानी थी. कुछ अपनी बहादुरी के लिए मशहूर थीं, तो कुछ अपनी शानो-शौकत और विलासितापूर्ण जीवनशैली के लिए, हम आपको आज इस खबर में एक ऐसे ही राजा के बारे में बताएंगे, जिसे खानपान को लेकर हर जगह चर्चा होती थी.

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Ravi Prashant
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Bhupinder Singh

महाराज भूपिंदर सिंह Photograph: (SM)

Patiala Maharaja Bhupinder Singh: आजादी से पहले भारत में सैकड़ों रियासतें थीं, और हर राजवाड़े की अपनी खासियत होती थी. कुछ अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे, तो कुछ अपनी शानो-शौकत और विलासितापूर्ण जीवनशैली के लिए. इन्हीं में से एक नाम था पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह का, जो अपने राजसी रहन-सहन के साथ-साथ अपनी खाने की आदतों को लेकर भी मशहूर थे.

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15 पराठे और पटियाला पैग

महाराजा भूपिंदर सिंह का भोजन जितना शाही होता था, उतना ही हैरान करने वाला भी. कहा जाता है कि वह एक बार में 15 तरह-तरह के पराठे खा जाते थे. उनकी थाली में सिर्फ पराठे ही नहीं होते थे, बल्कि कबाब, राजसी सब्ज़ियां और उनका मशहूर पटियाला पैग भी शामिल होता था. साथ ही उनकी पसंदीदा चीज थी मखमली पराठा.

मखमली पराठा शाही स्वाद की पहचान

मखमली पराठा, जिसे महाराजा बेहद पसंद करते थे, आम पराठों से बिल्कुल अलग होता था. इसकी परतें इतनी पतली और मुलायम होती थीं कि इसका टेक्सचर रेशमी मखमल जैसा लगता था. इसे बनाने के लिए आटे में महीन मैदा और अरारोट मिलाया जाता था, जिससे ये बेहद हल्का और नाजुक बनता था. इसे धीमी आंच पर शुद्ध घी में सेंका जाता और फिर ऊपर से बादाम, पिस्ता, केसर और केवड़ा का लेप लगाया जाता था. पराठे के अंदर कभी-कभी मावा, सूखे मेवे या कीमा भी भरा जाता था, जिससे इसका स्वाद और भी लाजवाब हो जाता था.

चांदी की थाली और सोने का वर्क

मखमली पराठा केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि प्रस्तुति में भी उतना ही शाही होता था. इन्हें चांदी की थालियों में परोसा जाता था और कई बार इन पर सोने या चांदी का वर्क भी लगाया जाता था. ऊपर से गुलाब जल, केवड़ा जल या केसर अर्क छिड़का जाता था, जिससे उसकी खुशबू पूरे महल में फैल जाती थी.

एक पराठा और एक कहानी

महाराजा भूपिंदर सिंह की थाली सिर्फ खाना नहीं, बल्कि राजसी वैभव और विलासिता की मिसाल होती थी. उनके भोजन के किस्से आज भी लोगों के बीच दिलचस्पी का विषय बने हुए हैं. मखमली पराठा न केवल उनके शौक को दर्शाता है, बल्कि उस दौर की खानपान परंपरा और समृद्धता को भी बयां करता है.

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