दिव्य कीर्ति के भगवान राम के ऊपर बयान की पूरी हकीकत

विकास दिव्यकीर्ति का एक वीडियो सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है. साथ ही ट्ववीटर पर बैन दृष्टि आईएएस (bandrishtiIAS) ट्रेंड कर रहा है. इस वीडियो में कितनी सच्चाई है यह हम आपको बताएंगे.

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Apoorv Srivastava
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Vikas Divyakirti

Vikas Divyakirti( Photo Credit : social Media)

Vikas Divyakirti : आईएएस (IAS) की कोचिंग कराने वाला प्रमुख संस्थान दृष्टि आईएएस बैन हो जाना चाहिए. ये मांग सोशल मीडिया पर जबर्दस्त तरीके से उठाई जा रही है. इसके कोचिंग इंस्टीट्यूट के ऑनर और मुख्य शिक्षक विकास दिव्यकीर्ति पर भारतीय संस्कृति के अपमान का आरोप लगाया जा रहा है. दृष्टि आईएएस एक कोचिंग संस्थान है और इसमें पढ़ाने वाले विकास दिव्यकीर्ति का एक वीडियो सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है. साथ ही ट्ववीटर पर बैन दृष्टि आईएएस (bandrishtiIAS) ट्रेंड कर रहा है. इस वीडियो में कितनी सच्चाई है यह हम आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले ये बता दें कि सोशल मीडिया पर जो वीडियो ट्रेंड कर रहा है, उसमें कहा क्या गया है. 

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सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में विकास दिव्यकीर्ति ये कहते दिख रहे हैं कि भगवान राम ने मां सीता से कहा कि सीते तुम ज्यादा खुश मत हो. मैंने तुम्हारे प्रेम के कारण तुम्हें रावण से नहीं बचाया बल्कि अपने कुल के मान की रक्षा के लिए तुम्हें बचाया है. वरना तुम तो रावण के हरण किए जाने के साथ ही मेरे लिए ऐसे त्याज्य हो गईं थीं जैसे कुत्ते के झूठे कर देने पर खाना त्याज्य हो जाता है. इस वीडियो को सोशल मीडिया पर ट्रेंड कराकर लोग विकास दिव्यकीर्ति पर अभद्र टिप्पणी कर रहे हैं. साथ ही उनके कोचिंग सेंटर को बंद कराने की भी मांग कर रहे हैं. 

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न्यूजनेशन ने इस मामले की पड़ताल करने की कोशिश की. इसके साथ ही उनके स्टेटमेंट का वीडियो भी हमारे हाथ लगा. अब हम बताते हैं आपको की पूरे वीडियो में दिव्यकीर्ति ने क्या कहा है. इस वीडियो में दिव्यकीर्ति तुलसीदास की रामचरित मानस की बात करते-करते एक संस्कृत के ग्रंथ की बात करते हैं. हालांकि वह ग्रंथ का नाम नहीं लेते लेकिन कहते हैं कि संस्कृति के एक ग्रंथ में लिखा है कि भगवान राम ने मां सीता से कहा कि सीते तुम ज्यादा खुश मत हो. मैंने तुम्हारे प्रेम के कारण तुम्हें रावण से नहीं बचाया बल्कि अपने कुल के मान की रक्षा के लिए तुम्हें बचाया है. वरना तुम तो रावण के हरण किए जाने के साथ ही मेरे लिए ऐसे त्याज्य हो गईं थीं जैसे कुत्ते के झूठे कर देने पर खाना त्याज्य हो जाता है. उसके आगे कहते हैं कि इस तरह की बातें लेखकों के अपने विचार होते हैं लेकिन तुलसीदास की रामचरितमानस में ऐसा कोई प्रसंग नहीं है. उन्होंने वीडियो में खुद स्वीकार किया है कि उस संस्कृत ग्रंथ में जो लिखा, वह बेहद गलत है और भगवान राम के चरित्र को प्रकट नहीं करता. 

Source : Apoorv Srivastava

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