भैंसासुर बनकर घास-भूसा खाने वाले शख्स का हैरान करने वाला Video Viral
क्या इंसान को कभी आपने जानवरों के जैसे घास और भूसा खाते हुए देखा है. इसका जवाब भले ही आपके पास न में हो, लेकिन उत्तर प्रदेश के महाराजगंज के कोल्हुई क्षेत्र का रहने वाले बुद्धिराम के घास-भूसा खाने वाला वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.
महाराजगंज:
क्या इंसान को कभी आपने जानवरों के जैसे घास और भूसा खाते हुए देखा है. इसका जवाब भले ही आपके पास न में हो, लेकिन उत्तर प्रदेश के महाराजगंज के कोल्हुई क्षेत्र का रहने वाले बुद्धिराम के घास-भूसा खाने वाला वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. बताया जाता है कि यह वीडियो नागपंचमी के दिन का है. कहा जाता है कि नागपंचमी के दिन एक साधारण व्यक्ति भैंसासुर बन जाता है और वह पशुओं की तरह थाल में भरा भूसा खाने लगता है. इस नागपंचमी पर गुरुवार को भी उसने जमकर भूसा खाया. इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. बताया जाता है कि कोल्हुई के रुद्रपुर गांव के शिवनाथ निवासी बुद्धिराम पिछले कई वर्षों से ऐसे ही भूसा चारा खाता है.
बुद्धिराम रोडवेज के रिटायर्ड कर्मचारी हैं. उन्हें भूसा खाते हुए देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा होती है. इलाके के लोग बताते हैं कि वह इसी तरह कई वर्षों तक नागपंचमी पर्व के हर तीसरे साल गांव में ही स्थित माता के मंदिर में स्थापित भैंसासुर की मूर्ति के सामने पशुओं की तरह भूसा और घास खाते हैं. इस वर्ष नागपंचमी पर भी उन्होंने जमकर भूसा और घास खाया. इस दौरान किसी उनकी वीडियो बनाकर वायरल कर दिया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा. इस वीडियो में देखा जा सकता है कि वह अपना मुंह भूस और पानी से भरे थाल में डालकर सब लोगों के सामने जानवरों की तरह बड़े ही चाव के साथ चारा खा रहे हैं.
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इलाके के लोगों का कहना कि नागपंचमी के दिन बुद्धिराम बिल्कुल ही पशु की तरह व्यवहार करने लगता है. इस दौरान यहां लोगों के अंधविश्वास का भी नजारा देखने को मिलता है. दरअसल, नागपंचमी के मौके पर बुधिराम वह घर के बाहर बने माता के मंदिर में पहुंच जाते हैं. इसके बाद शुरू हो जाता है, उनके स्वागत करने का सिलसिला. इस दौरान लोग उन्हें फूलों और मालाओं से स्वागत करते हैं. इसके बाद वह यहां पर सजाए गए थाल से जानवर की तरह भूसा और चारा खाने लगता है. नागपंचमी पर पशुओं की तरह व्यवहार करने वाले बुद्धिराम का कहना है कि है कि वे पिछले 40-45 सालों से भैंसासुर उस पर सवार है. उन्होंने बताया कि ऐसा हर 3 वर्ष में नागपंचमी के दिन होता है. उन्होंने कहा कि वह बाकी दिन सामान्य लोगों की तरह जीवन व्यतीत करता हूं. नागपंचमी पर भी कुछ समय के लिए ऐसा होता है और फिर कुछ घंटों की पूजा के बाद वे सामान्य हो जाते हैं.
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