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वायरल वीडियो Photograph: (X)
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Munsiyari Viral Video: सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दो बच्चियों को स्कूल जाने के लिए संघर्ष करते हुए देखा जा सकता है. वीडियो में देखा जा सकता है कि वो रस्सी वाली ट्रॉली के सहारे स्कूल जाने के लिए स्ट्रगल कर रही होती हैं.
वायरल वीडियो Photograph: (X)
Munsiyari Viral Video: आजादी के 77 साल बाद भी भारत के कई हिस्सों में बुनियादी सुविधाओं की कमी हमें सोचने पर मजबूर करती है. जैसे कि विकास का असली मतलब क्या है? उत्तराखंड के मुनस्यारी से सामने आई तस्वीर इस सच्चाई को उजागर करती है. वीडियो में दो बच्चियां रस्सी वाली ट्रॉली के सहारे नदी पार करती नजर आती हैं, यह स्थिति न केवल खतरनाक है, बल्कि प्रशासनिक उपेक्षा का एक और उदाहरण है. वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि स्कूल जाने के लिए बच्चियों को मेहनत करना पड़ रहा है. वो पहले रस्थी खींचती है और उस रस्सी वाले ट्रॉली पर बैठती हैं और स्कूल के लिए पहुंचती हैं.
भारत के पहाड़ी इलाकों में पुल न होने की समस्या दशकों पुरानी है. रस्सी और ट्रॉली जैसे साधनों से नदी पार करना वहां के निवासियों के लिए एक आम बात है, लेकिन इसका मतलब अपनी जान को जोखिम में डालना है. अगर इस दौरान कोई दुर्घटना हो जाए, तो घायल होने या जान जाने की संभावना अधिक है. यह तस्वीरें विकास के उन दावों पर सवाल खड़े करती हैं, जो हम सुनते और देखते हैं.
यह दृश्य एक और गंभीर पहलू की ओर इशारा करता है. इन बच्चियों का संघर्ष सिर्फ शिक्षा के लिए है. वे जोखिम उठाकर स्कूल जाती हैं, जो उनके सपनों और भविष्य का प्रतीक है. लेकिन क्या यह उचित है कि शिक्षा प्राप्त करने के लिए उनकी जान दांव पर लगी हो? सरकारें शिक्षा और विकास को प्राथमिकता देने के दावे करती हैं. हालांकि, इस प्रकार की घटनाएं यह बताती हैं कि विकास और बजट का वितरण असमान है.
उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री का गृह जिला पिथौरागढ़ जहां विगत 15 वर्षों से हरीश धामी विधायक हैं 2013 में क्षतिग्रस्त हुआ यह पुल आज तक नहीं बन पाया @PMOIndia @pushkardhami @vinodkapri pic.twitter.com/FWRKof4W0o
— ममता राजगढ़ (@rajgarh_mamta1) January 21, 2025
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पहाड़ी इलाकों की समस्याएं आज भी मुख्यधारा की प्राथमिकताओं में पीछे हैं. पुल जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण न होना न केवल प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि नागरिकों के साथ अन्याय भी है. मुनस्यारी का यह उदाहरण विकास के असली मायने पर सवाल खड़ा करता है. जब तक देश के हर कोने में बुनियादी सुविधाओं की पहुंच नहीं होती, तब तक विकास के दावे खोखले लगते हैं.
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