डॉक्टर की क्वालिफिकेशन MA Political Science, वायरल पर्ची ने खड़े कर दिए सवाल

सोशल मीडिया पर एक पर्ची तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें देखा जा सकता है कि एक पर्ची पर डॉक्टर की योग्यता MA पॉलिटिकल साइंस लिखी हुई है. इस डिग्री को देखने के बाद लोगों ने सवाल उठाए हैं कि क्या अब डॉक्टर ऐसे भी बन सकते हैं?

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Ravi Prashant
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Doctor's Qualification MA Political Science

वायरल वीडियो Photograph: (IG)

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के जाहिदपुर कस्बे में स्थित श्रीवास्तव क्लीनिक के एक डॉक्टर की प्रेस्क्रिप्शन सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. इस पर्ची ने लोगों के बीच भारी उत्सुकता और बहस छेड़ दी है, क्योंकि इसमें एक डॉक्टर की क्वालिफिकेशन MA Political Science लिखी हुई है. यह तस्वीर कुछ दिनों पहले @medicinefile इंस्टाग्राम अकाउंट से थ्रेड्स (Threads) प्लेटफॉर्म पर शेयर की गई थी. सोशल मीडिया पर जब ये पर्ची वायरल हुई तो लोगों ने हैरानी जताई है और कहा कि ये कौन सी डिग्री है? 

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क्या है वायरल पर्ची में खास?

इस प्रेस्क्रिप्शन में दो डॉक्टरों के नाम दर्ज हैं, डॉ. दिनेश श्रीवास्तव और डॉ. वरुण श्रीवास्तव. डॉ. दिनेश श्रीवास्तव की क्वालिफिकेशन  BAMS (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) बताई गई है, जो कि एक मान्यता प्राप्त मेडिकल डिग्री है. लेकिन डॉ. वरुण श्रीवास्तव की योग्यता के आगे MA Political Science लिखा हुआ है, जिसे देखकर लोग हैरान हैं. इस पर्ची में पैरासिटामोल और बीकोसूल्स जैसी आम दवाएं लिखी गई हैं, लेकिन असली चर्चा इस बात पर हो रही है कि क्या MA Political Science रखने वाला कोई व्यक्ति मरीजों का इलाज कर सकता है?

वायरल पर्ची देख लोगों ने क्या कहा? 

सोशल मीडिया पर यह पर्ची खूब वायरल हो रही है. एक यूजर ने लिखा कि अब मुझे लगता है कि मुझे डॉक्टर बन जाना चाहिए, क्योंकि अगर राजनीति शास्त्र वाले डॉक्टर बन सकते हैं तो मैंने तो बायोलॉजी पढ़ी है. एक यूजर ने लिखा कि झोलाछाप डॉक्टर भी ऐसी गलती नहीं कर सकते हैं. एक यूजर ने लिखा कि आज की तारीख में ऐसे डॉक्टर लोगों की जान ले लेते हैं. वीडियो पर कई यूजर्स अपनी-अपनी राय दे रहे हैं.

क्या है कानून?

भारत में डॉक्टर बनने के लिए MBBS, BDS, BAMS, BHMS या अन्य मान्यता प्राप्त मेडिकल डिग्री होनी जरूरी होती है. MA Political Science का मेडिकल क्षेत्र से कोई संबंध नहीं है. यह वायरल पर्ची इस ओर भी इशारा करती है कि फर्जी डॉक्टरों की संख्या बढ़ रही है, और मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत है. प्रशासन को इस मामले की जांच करनी चाहिए ताकि भविष्य में मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

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