'डोलो' को लेकर सोशल मीडिया पर फिर छिड़ी बहस, लोगों को याद आए कोविड के दिन

एक बार फिर सोशल मीडिया पर लोग डोला दवाई की चर्चा करने लगे और पुराने दिनों को याद करने लगे. हर कोई उन दिनों को याद कर रहा है जब कोविड महामारी फैली थी.

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Ravi Prashant
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 Dolo Medicine

वायरल पोस्ट Photograph: (Freepik)

साल 2020, पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में थी. भारत में लॉकडाउन लग चुका था, लोग घरों में कैद थे और हल्का बुखार भी लोगों के मन में डर पैदा कर रहा था. कहीं ये कोविड तो नहीं? टेस्ट कराएं या नहीं? या फिर बस एक गोली डोलो 650 खाकर आराम कर लें? देश की करोड़ों आबादी ने बिना ज़्यादा सोच-विचार किए डोलो 650 की तरफ रुख किया. नतीजा ये रहा कि महामारी के बाद भी यह गोली भारतीयों के दिमाग और दवाइयों की डब्बियों में अब तक जगह बनाए हुए है.

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बिना पर्ची के मिल जाता है दवा

डोलो 650 असल में पैरासिटामॉल की एक ब्रांडेड गोली है, जो बुखार कम करने और दर्द से राहत दिलाने में इस्तेमाल होती है. यह एक ओवर-द-काउंटर दवा है, यानी इसे डॉक्टर की पर्ची के बिना भी खरीदा जा सकता है. डोलो के अलावा भी कई कंपनियां यही सॉल्ट 500mg के रूप में बेचती हैं जैसे कि कालपोल, क्रोसिन, पैरासिप, सूमो और फैब्रिनिल.

तो है ये डोलो की खासियत

लेकिन डोलो की सबसे बड़ी खासियत इसका 650mg लिखा होना है, जो इसे बाकियों से अलग पहचान देता है. जब कोविड का कहर था, तब लोगों को ज्यादा असरदार दवा की तलाश थी और डोलो 650 उन्हें भरोसेमंद लगी. इसका साइज 1.5 सेमी होता है और यह 650 मिलीग्राम की मात्रा में आती है, जो आमतौर पर 500 मिलीग्राम वाली गोलियों से थोड़ी अधिक मानी जाती है.

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अब भी घर में है डोलो का चलन

हालांकि, क्लिनिकल स्टडीज़ में यह साबित हुआ है कि 650mg की गोली कुछ मामलों में 500mg से ज़्यादा असरदार हो सकती है, खासकर तेज बुखार या शरीर में ज्यादा दर्द के वक्त. यही कारण है कि कोविड के समय डोलो 650 देश में सबसे ज्यादा बिकने वाली दवा बन गई थी. महामारी भले ही खत्म हो गई हो, लेकिन डोलो 650 आज भी हर घर की मेडिसिन बॉक्स में अपनी जगह बनाए हुए है.

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