Indian Student in Australia: आखिर क्यों भारतीय छात्र पढ़ने के लिए जा रहे ऑस्ट्रेलिया? जानें वजह

अमेरिका में वीजा और नौकरी से जुड़ी बढ़ती दिक्कतों के कारण अब भारतीय छात्र ऑस्ट्रेलिया का रुख कर रहे हैं. बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था, स्टूडेंट-फ्रेंडली माहौल, सस्ते रहने के विकल्प और पढ़ाई के बाद बेहतर नौकरी के मौके इसकी बड़ी वजह हैं.

author-image
Deepak Kumar
New Update

अमेरिका में वीजा और नौकरी से जुड़ी बढ़ती दिक्कतों के कारण अब भारतीय छात्र ऑस्ट्रेलिया का रुख कर रहे हैं. बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था, स्टूडेंट-फ्रेंडली माहौल, सस्ते रहने के विकल्प और पढ़ाई के बाद बेहतर नौकरी के मौके इसकी बड़ी वजह हैं.

भारतीय छात्र अब अमेरिका के बजाय अन्य देशों में पढ़ाई करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिकी वीजा की मुश्किलें और एच-1बी वीजा फीस में हाल ही में हुई भारी बढ़ोतरी है. छात्रों को कई महीनों से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते वे अब यूके, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जर्मनी, फ्रांस और यूरोप से बाहर के देशों का रुख कर रहे हैं.

Advertisment

ऑस्ट्रेलिया और क्वींसलैंड की बढ़ती लोकप्रियता

भारतीय छात्रों के लिए इस समय ऑस्ट्रेलिया सबसे बड़ी पसंद बनता जा रहा है. खासतौर पर क्वींसलैंड में पढ़ाई करने का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है. ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन के अनुसार 2024 में 7.60 लाख से ज्यादा भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई के लिए गए. वहीं 2019 से 2023 के बीच ऑस्ट्रेलिया में 19.5 लाख से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने प्रवेश लिया. अकेले 2023 में 5.61 लाख छात्र पहुंचे.

क्वींसलैंड छात्रों को बेहतरीन शिक्षा, सुरक्षित और स्टूडेंट-फ्रेंडली माहौल, नौकरी के बेहतर अवसर और खूबसूरत जीवनशैली प्रदान करता है. यहां पर्यावरण विज्ञान, नर्सिंग, आईटी, बिजनेस, इंजीनियरिंग, फार्मेसी और नेचुरल साइंस जैसे विषयों में भारतीय छात्र बड़ी संख्या में पढ़ाई कर रहे हैं.

क्वींसलैंड की यूनिवर्सिटी और रैंकिंग

आपको बता दें कि क्वींसलैंड की यूनिवर्सिटियां लगातार वैश्विक रैंकिंग में ऊपर आ रही हैं. क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 के अनुसार यहां की यूनिवर्सिटी ने मेडिसिन में 75वीं, ईवीएस में 15वीं, नेचुरल साइंस में 55वीं, नर्सिंग में 45वीं और फार्मेसी में 28वीं रैंक हासिल की है. ग्रिफिद यूनिवर्सिटी और जेम्स कुक यूनिवर्सिटी ने भी लिस्ट में जगह बनाई है.

भारत-क्वींसलैंड सहयोग और नए अवसर

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सहयोग (ECTA) के बाद क्वींसलैंड और भारत के रिश्ते और मजबूत हुए हैं. इससे रिसर्च, इनोवेशन, स्किल डेवलपमेंट और नए रोजगार क्षेत्रों में अवसर बढ़े हैं. यहां हर हफ्ते औसतन 1900 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की सैलरी मिलती है. साथ ही एडवांस मैन्युफैक्चरिंग, बायोमेडिकल साइंस, कृषि और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे क्षेत्रों में इंटर्नशिप और नौकरी के मौके लगातार बढ़ रहे हैं.

अमेरिका की जटिल वीजा प्रक्रिया और महंगे खर्चों ने छात्रों को वहां से दूर कर दिया है. वहीं ऑस्ट्रेलिया और खासकर क्वींसलैंड बेहतर शिक्षा, सुरक्षित माहौल और नौकरी के अवसरों के कारण भारतीय छात्रों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें- अमेरिका, कनाडा या ब्रिटेन नहीं इस देश से करें कम पैसों में पढ़ाई, नौकरी का भी मिलेगा मौका

national news National News In Hindi Abroad Study Indian Student in Australia
Advertisment