उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में आई भीषण आपदा को एक हफ्ता बीत चुका है, लेकिन मलबे में दबे लापता लोगों की तलाश अब भी जारी है. सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य कर रही हैं, मगर खराब मौसम रेस्क्यू में बड़ी चुनौती बन गया है. 5 अगस्त को आई फ्लैश फ्लड ने धराली का भूगोल बदल दिया. तेज बहाव के साथ आया मलबा पूरा गांव समेट ले गया, जिसमें लोगों के घर, दुकानें और वर्षों की जमा पूंजी भी दफन हो गई. अब 43 लोग अभी भी लापता हैं, जिनमें स्थानीय लोग, सेना के जवान और बिहार, यूपी व नेपाल से आए मजदूर शामिल हैं.
कृत्रिम झील से नया खतरा
इस आपदा के बीच हर्षिल घाटी में तेलघाट नदी के उफान से भागीरथी नदी में करीब 1,200 मीटर लंबी कृत्रिम झील बन गई है, जिसमें 7 लाख क्यूबिक मीटर पानी भरा है. यह झील भविष्य में बड़े हादसे का कारण बन सकती है, इसलिए सेना और डिजास्टर मैनेजमेंट की टीम पानी निकालने के वैकल्पिक रास्ते बनाने में जुटी है.
तबाही के चंद सेकंड
स्थानीय लोगों के मुताबिक, पत्थर गिरने और तेज आवाज के बाद लोग घरों से बाहर निकले, लेकिन 25 सेकंड में पूरा इलाका मलबे और पानी में डूब गया. शिव मंदिर से लेकर गांव के घर तक सबकुछ बह गया. कई लोगों का कहना है कि उनका घर, बगीचा और जमीन सब खत्म हो गया है, अब केवल बदन पर कपड़े ही बचे हैं.
उम्मीदें धूमिल, दर्द गहरा
गांव के हर व्यक्ति के पास अपनी दर्दभरी कहानी है. किसी ने अपना परिवार खोया, तो किसी की रोजी-रोटी छिन गई. नेपाली और अन्य बाहरी मजदूरों की सही संख्या का पता नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि उनकी तादाद 80 तक हो सकती है. जैसे-जैसे समय बीत रहा है, जीवित बचने की उम्मीद कम होती जा रही है, पर मलबे में दबे अपने प्रियजनों को खोजने की जद्दोजहद जारी है.
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