उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में शनिवार (30 अगस्त) शाम बड़ा हादसा हुआ. ऐलागाड़ स्थित एनएचपीसी (नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन) के धौलीगंगा पावर हाउस की भूमिगत टनल के मुहाने पर भारी भूस्खलन हुआ. अचानक पहाड़ी दरकने से टनल का रास्ता मलबे और बड़े पत्थरों से बंद हो गया. उस समय टनल में 19 कर्मचारी और अधिकारी काम कर रहे थे, जो अंदर फंस गए.
रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत
हादसे की जानकारी मिलते ही प्रशासन और राहत एजेंसियां तुरंत सक्रिय हो गईं. बीआरओ (बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन) की जेसीबी मशीनों ने लगातार मलबा हटाने का काम शुरू किया. वहीं, एनडीआरएफ, सीआईएसएफ, एनएचपीसी और जिला प्रशासन की टीमें भी बचाव कार्य में जुट गईं.
शनिवार देर रात तक मलबा और बारिश रेस्क्यू में बाधा बनी रही, लेकिन रविवार (31 अगस्त) दोपहर तक 8 कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया. उसके बाद देर शाम तक बाकी 11 कर्मचारियों को भी बाहर निकाल लिया गया.
प्रशासन की जानकारी
पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी ने बताया कि सुरंग का मुहाना अब पूरी तरह से साफ कर दिया गया है. सभी 19 कर्मचारी सुरक्षित बाहर आ गए हैं और किसी को कोई चोट नहीं लगी.
इस रेस्क्यू अभियान में कई एजेंसियों ने मिलकर काम किया. बीआरओ ने मलबा हटाने का कार्य किया, जबकि एनडीआरएफ और सीआईएसएफ की टीमों ने सुरंग के अंदर फंसे कर्मचारियों से लगातार संपर्क बनाए रखा. प्रशासन ने बताया कि धौलीगंगा पावर हाउस को भूस्खलन से हल्की क्षति जरूर पहुंची है, लेकिन बिजली उत्पादन सामान्य रूप से जारी है.
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