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हाल ही में हुए सनातन क्रिकेट लीग ने सोशल मीडिया पर एक बहस छेड़ दी है. कई लोगों ने सवाल उठाया है कि सनातन समाज का काम तो धर्म, सेवा और अध्यात्म से जुड़ा है, लेकिन सनातन धर्म का क्रिकेट जैसे व्यावसायिक खेल से क्या संबंध है?
हाल ही में आयोजित सनातन क्रिकेट लीग को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. कई लोगों ने सवाल उठाया कि जब संत समाज का कार्य धर्म, सेवा और अध्यात्म से जुड़ा है, तो फिर क्रिकेट जैसे व्यावसायिक खेल से सनातन धर्म का क्या संबंध? इसी पर बातचीत के दौरान पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि शांतिदूत श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने स्पष्ट किया कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल खेल नहीं, बल्कि सेवा और एकता है.
क्यों हुआ क्रिकेट का आयोजन?
उन्होंने बताया कि इस लीग का विचार उनके ज्येष्ठ भ्राता श्री शांतिदूत देवकीनंदन ठाकुर जी के मन में तब आया, जब देश के कई राज्यों जैसे पंजाब और हिमाचल में प्राकृतिक त्रासदियां हुईं. उस समय सोचा गया कि सभी कथावाचकों और संतों को किसी नए रूप में एकजुट किया जाए, जिससे मनोरंजन के साथ सेवा का भाव भी पूरा हो सके. ठाकुर जी ने कहा, “क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं, मिलने-जुलने और समाज के लिए कुछ करने का जरिया भी बन सकता है.”
लीग का मकसद क्या है?
सवालों के जवाब में धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि लीग का मकसद पैसा या कमर्शियल वैल्यू नहीं, बल्कि मानवता की सेवा है. “हम सब एक साथ मिलकर खेलेंगे, आनंद भी लेंगे और जो आपदा से प्रभावित लोग हैं, उनके लिए सहायता भी जुटाएंगे,”
क्रिकेक प्रेमी हूं
उन्होंने आगे कहा कि वे खुद क्रिकेट प्रेमी हैं और कई बार कैमरे के सामने खेल भी चुके हैं. मजाकिया अंदाज में जब उनसे पूछा गया कि क्या वे ऑलराउंडर हैं, तो उन्होंने हंसते हुए कहा, “हम बॉलिंग भी करते हैं और कई विकेट चटका चुके हैं.”
भेदभाव खत्म करने के लिए कराया भोज
लेकिन बातचीत यहीं खत्म नहीं हुई. शास्त्री जी ने अपने जीवन के सिद्धांत पर भी ज़ोर दिया. उन्होंने कहा “हम जो कहते हैं, वही करते हैं.” उन्होंने बताया कि अपने धाम में सामाजिक समरसता भोज और सामूहिक विवाह समारोह जैसे आयोजनों के माध्यम से उन्होंने जाति-भेद मिटाने की दिशा में काम किया है.
उन्होंने कहा, “हमारे लिए धर्म सिर्फ प्रवचन तक सीमित नहीं है. सेवा, समरसता और कर्म यही सच्चा सनातन है.” उनके अनुसार, सनातन क्रिकेट लीग उसी विचार की एक नई झलक है. जहां धर्म और सेवा को आधुनिक माध्यमों से जोड़ा जा रहा है. आलोचना के बीच देवकीनंदन ठाकुर जी का यह बयान स्पष्ट करता है कि यह लीग धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और मानवीय भावनाओं से प्रेरित एक प्रयास है, जहां खेल के जरिए समाज को जोड़ने का संदेश दिया गया है.
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