Nepal Social Media Ban Protest: नेपाल में सोशल मीडिया बैन पर प्रदर्शनकारियों का बवाल, सेना ने संभाला मोर्चा

नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन लगते ही भारी विरोध शुरू हो गया. काठमांडू से लेकर कई जिलों तक प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतारकर हंगामा मचाया. स्थिति नियंत्रण से बाहर होने पर सेना ने मोर्चा संभाला और कर्फ्यू लागू कर दिया.

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Deepak Kumar
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नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन लगते ही भारी विरोध शुरू हो गया. काठमांडू से लेकर कई जिलों तक प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतारकर हंगामा मचाया. स्थिति नियंत्रण से बाहर होने पर सेना ने मोर्चा संभाला और कर्फ्यू लागू कर दिया.

नेपाल में सोशल मीडिया (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, यूट्यूब और स्नैपचैट) पर बैन लगते ही पूरे देश में भारी विरोध शुरू हो गया है. सोशल मीडिया उपयोग करने वाले युवाओं ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन शुरू कर दिया. काठमांडू से लेकर पोखरा तक जगह-जगह हिंसा हुई. अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से ज्यादा लोग घायल हैं. हालात पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो गए हैं.

Gen-Z ने शुरू किया प्रदर्शन

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आपको बता दें कि यह प्रदर्शन मुख्य रूप से जनरेशन जेड (Gen-Z) यानी 18 से 30 साल के युवाओं ने शुरू किया है, जो इंटरनेट और सोशल मीडिया पर निर्भर रहते हैं. इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म पर नेपाल में लाखों यूजर्स हैं जो मनोरंजन, खबरें और व्यापार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. 3 सितंबर को नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया, जिससे युवाओं में गुस्सा फैल गया. राजधानी काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन की तरफ जाने वाली सड़कों को घेर लिया और सेना व पुलिस की चौकियों पर हमला कर दिया.

प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन के गेट पर आग लगा दी. आग इतनी तेजी से फैली कि आसपास के इलाकों में भी नुकसान हुआ. इसके बाद लोग संसद के अंदर घुस गए और तोड़फोड़ शुरू कर दी. काठमांडू में मचा यह बवाल धीरे-धीरे पूरे देश में फैल रहा है. देशभर में अस्थिरता बढ़ती जा रही है.

सोशल मीडिया बैन पर विचार करेगी सरकार

सरकार ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है और हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रही है. बताया जा रहा है कि एक कमेटी बनाई जाएगी जो सोशल मीडिया बैन पर फिर से विचार करेगी. साथ ही छात्र संगठनों पर कार्रवाई भी हो सकती है. सेना को सख्त आदेश दिए गए हैं और कर्फ्यू लागू कर दिया गया है.

नेपाल की राजनीतिक पार्टियां भी युवाओं का साथ दे रही हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर दबाव बढ़ गया है और सरकार संकट में फंसती जा रही है.


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