भारत और चीन के रिश्तों में एक बार फिर कूटनीतिक हलचल देखने को मिल रही है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी दो दिवसीय भारत यात्रा पर आए हैं. आपको बता दें कि सोमवार (18 अगस्त) को उन्होंने भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से मुलाकात की. यह अक्टूबर 2024 में कजान शिखर सम्मेलन के बाद किसी चीनी मंत्री की पहली भारत यात्रा है.
सीमा विवाद और आपसी रिश्तों पर बातचीत
बैठक के दौरान जयशंकर ने साफ कहा कि भारत और चीन ने रिश्तों में एक कठिन दौर देखा है, खासकर गलवान घाटी की हिंसा के बाद. लेकिन अब दोनों देश आगे बढ़ना चाहते हैं. इसके लिए तीन बातें जरूरी हैं- आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित. उन्होंने कहा कि मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन इन्हें विवाद या टकराव में नहीं बदलना चाहिए. प्रतिस्पर्धा भी दुश्मनी का रूप नहीं लेनी चाहिए.
आतंकवाद और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा
दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को प्राथमिकता बताया. साथ ही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन को लेकर विचार साझा किए. जयशंकर ने कहा कि भारत एक निष्पक्ष और संतुलित वैश्विक व्यवस्था चाहता है.
प्रधानमंत्री मोदी से होगी मुलाकात
इस यात्रा का सबसे अहम पड़ाव मंगलवार (19 अगस्त) होगा जब वांग यी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. यह बैठक दोनों देशों के रिश्तों की दिशा तय कर सकती है. सीमा मुद्दों पर भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से वांग यी की मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
चीन की ओर से कहा गया है कि इस यात्रा का मकसद आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ाना है. वहीं भारत ने उम्मीद जताई है कि बातचीत से रिश्तों में सुधार का रास्ता खुलेगा. कठिन दौर के बाद अब सवाल है कि क्या यह यात्रा भारत-चीन रिश्तों को नई शुरुआत दे पाएगी.
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