राजस्थान के जैसलमेर जिले के मेघा गांव में तालाब की खुदाई के दौरान ग्रामीणों को कुछ अनोखी चीजें मिलीं. खुदाई के दौरान हल्के लेकिन पत्थर जैसे दिखने वाले कई टुकड़े और हड्डी जैसा ढांचा नजर आया. इन अवशेषों की जानकारी भूजल वैज्ञानिकों तक पहुंची. मौके पर पहुंचे विशेषज्ञों ने जांच के बाद बताया कि यह अवशेष फॉसिल (जीवाश्म) जैसे हैं. इनमें से कुछ लकड़ी की तरह पत्थर बन चुके हैं, जबकि एक ढांचा हड्डियों जैसा है.
क्या ये डायनासोर के अवशेष हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, यह जगह जुरासिक युग की भू-स्तर पर स्थित है, जो करीब 18 करोड़ साल पुराना माना जाता है. प्रारंभिक जांच में अनुमान लगाया जा रहा है कि यह कंकाल किसी बड़े जीव का है, जो उड़ने वाला हो सकता है. जैसलमेर पहले समुद्र के नीचे था, इसलिए संभावना है कि यहां बड़े जीव, मछलियां और डायनासोर जैसे प्राणी रहते थे. समय के साथ मिट्टी की मोटी परत के नीचे दबे रहने से इनके शरीर का फॉसिलीकरण हो गया होगा.
अवशेषों की सुरक्षा और जांच जारी
ग्रामीणों ने इन अवशेषों की सुरक्षा के लिए तारबंदी कर दी है ताकि कोई नुकसान न हो. भूजल वैज्ञानिकों का कहना है कि इन अवशेषों की वैज्ञानिक जांच के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि यह वास्तव में डायनासोर का कंकाल है या किसी अन्य प्राचीन जीव का. हालांकि, मिले हुए ढांचे का आकार 6 से 7 फीट तक बड़ा है, जिससे यह स्पष्ट है कि यह किसी विशालकाय प्राणी का था.
जैसलमेर का प्राचीन इतिहास और रहस्य
विशेषज्ञ बताते हैं कि जैसलमेर का यह इलाका कभी समुद्र और नदियों से घिरा हुआ था. ऐसे में यह संभव है कि डायनासोर या उनके जैसे जीव यहां आते होंगे. खुदाई में मिला यह ढांचा इस बात का संकेत हो सकता है कि लाखों-करोड़ों साल पहले यह क्षेत्र इन प्राचीन जीवों का ठिकाना रहा होगा.
अब इन अवशेषों को संरक्षित करके वैज्ञानिक जांच की जाएगी. तभी यह रहस्य साफ होगा कि यह ढांचा डायनासोर का है या किसी और प्रजाति का. लेकिन इतना तय है कि जैसलमेर की मिट्टी में छिपे ये जीवाश्म हमें करोड़ों साल पुराने जुरासिक युग की झलक दिखा रहे हैं.
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