मुंबई में मराठा आरक्षण आंदोलन के चलते हालात बिगड़ते देख बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार (01 सितंबर) को कड़ा रुख अपनाया. कोर्ट ने आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल और समर्थकों को आदेश दिया है कि मंगलवार (2 सितंबर) दोपहर तक सभी सड़कें खाली की जाएं और प्रदर्शन सिर्फ आजाद मैदान तक सीमित रहे.
आंदोलन से शहर ठप
आपको बता दें कि मनोज जरांगे पाटिल 29 अगस्त से आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं. सोमवार को उन्होंने पानी भी त्याग दिया. उनके समर्थन में हजारों लोग महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों से मुंबई पहुंचे. भीड़ के कारण रेल और सड़क यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ और आम लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी. प्रदर्शनकारी आजाद मैदान से निकलकर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, चर्चगेट स्टेशन, मरीन ड्राइव और हाईकोर्ट के बाहर तक पहुंच गए.
हाईकोर्ट की नाराजगी
न्यायमूर्ति रविंद्र घुगे और गौतम अखंड की खंडपीठ ने कहा कि आंदोलनकारियों को केवल आजाद मैदान में धरने की अनुमति थी, लेकिन उन्होंने नियम तोड़े और शहर में अफरातफरी फैलाई. कोर्ट ने साफ कहा कि यह आंदोलन अब शांतिपूर्ण नहीं रह गया है. अदालत ने सरकार से कहा कि मुंबई की सड़कें मंगलवार दोपहर तक खाली हो जानी चाहिए. साथ ही आदेश दिया कि आंदोलन स्थल पर केवल 5000 लोग ही रह सकते हैं, बाकी को लौटना होगा.
सरकार पर दबाव
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि अगर लाखों लोग और मुंबई पहुंचे तो आप क्या करेंगे? सरकार ने बताया कि गणेशोत्सव के कारण पुलिस बल का इस्तेमाल करना मुश्किल है और सख्त कदम उठाने से हालात और बिगड़ सकते हैं. इसके बावजूद हाईकोर्ट ने चेतावनी दी कि जरांगे और उनके समर्थकों ने शर्तें तोड़ी हैं, इसलिए अब सरकार कानून के तहत कार्रवाई करे.
आंदोलन की मांग
मनोज जरांगे ओबीसी श्रेणी में मराठा समाज के लिए 10% आरक्षण की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, वे आंदोलन नहीं छोड़ेंगे. अदालत इस मामले पर मंगलवार (2 सितंबर) को फिर सुनवाई करेगी.
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