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Maratha Protest Mumbai Photograph: (NN)
Maratha Protest: मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई के आजाद मैदान में चल रहे प्रदर्शन पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने आजाद मैदान के बाहर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ एक्शन लेने और कल दोपहर तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को कहा है. साथ ही हाईकोर्ट इस मामले पर कल दोपहर 3 बजे फिर से सुनवाई करेगा.
हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती
न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि विरोध प्रदर्शन करना वैधानिक अधिकार है, लेकिन इसके चलते मुंबईवासियों को असुविधा में डालना उचित नहीं है. अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि मुंबई की ओर आ रहे मराठा आंदोलनकारियों को शहर की सीमा से पहले ही रोका जाए और उन्हें वापस भेजा जाए. साथ ही, जारंगे पाटिल की मेडिकल जांच कराने का भी आदेश दिया गया है क्योंकि वे भूख हड़ताल पर बैठे हैं.
दरअसल, पुलिस ने जारंगे पाटिल को सिर्फ एक दिन के प्रदर्शन की अनुमति दी थी. शर्तों के अनुसार, 5,000 प्रदर्शनकारियों और 1,500 वाहनों से अधिक की एंट्री पर रोक थी. साथ ही आंदोलन को शांतिपूर्ण रखने का भरोसा भी दिलाया गया था. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने अनुमति से अधिक संख्या में मुंबई पहुंचकर आंदोलन तेज कर दिया है.
राजनीतिक दखल के आरोप और बिगड़ते हालात
वकील गुणरत्न सदावर्ते ने हाईकोर्ट में आरोप लगाया कि आंदोलन में सीधा राजनीतिक हस्तक्षेप है. उनका दावा है कि शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता आंदोलनकारियों तक ट्रक में खाना-पानी पहुंचा रहे हैं. इस पर मराठा समुदाय के वकील आनंद काठे ने आपत्ति जताई, जिससे कोर्ट नाराज हो गया और स्पष्ट किया कि अनधिकृत टिप्पणी की अनुमति नहीं दी जाएगी. वहीं, सुप्रिया सुले पर पानी की बोतल फेंकने और महिला पत्रकारों के साथ बदसलूकी जैसी घटनाओं की जानकारी भी कोर्ट को दी गई.
मुंबई में जनजीवन अस्त-व्यस्त
मराठा आंदोलन से दक्षिण मुंबई का जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो चुका है. कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने रास्ता रोकने की कोशिश जहाँ पुलिस ने उनको समझाकर वहाँ से दूर किया. ट्रैफिक जाम में एक दिव्यांग महिला के पांच घंटे तक फंसे रहने का मामला भी सामने आया. वहीं कोर्ट ने सरकार से सवाल किया है कि आखिर मुंबई के लोगों को ये सब कितने दिन सहना होगा ? वहीं दूसरी तरफ़ आंदोलनकारी साफ कह चुके हैं कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो पूरे मुंबई में चक्का जाम किया जाएगा. हजारों लोग कई दिनों का राशन-पानी लेकर मुंबई में डटे हुए हैं, जिससे संकेत मिलते हैं कि संघर्ष लंबा चल सकता है.
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