भारत आने वाले 10 वर्षों में अंतरिक्ष में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है. 2035 तक भारत का अपना स्पेस स्टेशन होगा, जिसका नाम होगा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS). यह स्पेस स्टेशन लो अर्थ ऑर्बिट (लगभग 400-450 किमी ऊंचाई) पर स्थापित किया जाएगा. इस स्टेशन का डिजाइन मॉड्यूल आधारित होगा. प्रत्येक मॉड्यूल का वजन लगभग 10 टन होगा और कुल 5 मॉड्यूल जोड़कर एक बड़ा स्टेशन तैयार किया जाएगा. इसका कुल वजन लगभग 52 टन होगा.
स्पेस स्टेशन की विशेषताएं
आपको बता दें कि स्पेस स्टेशन में डॉकिंग सिस्टम होगा, जिससे एक मॉड्यूल को दूसरे से जोड़ा जा सकेगा. इसमें सोलर पैनल्स होंगे, जो ऊर्जा प्रदान करेंगे. साथ ही, रोबोटिक आर्म्स लगाए जाएंगे, जिनकी मदद से स्पेस वॉक करना, मॉड्यूल को जोड़ना या सोलर पैनल बदलना आसान होगा. इसमें कमांड और कंट्रोल सेंटर, संचार के लिए एंटीना और कई वैक्यूम लॉक भी होंगे, जिनसे अंतरिक्ष यात्री बाहर निकलकर काम कर सकेंगे.
कैसे काम करेगा?
स्टेशन में चार छोटे-छोटे बूस्टर लगे होंगे, जो इसे कक्षा में स्थिर रखने और दिशा बदलने में मदद करेंगे. इसमें तरल ईंधन का उपयोग होगा. डॉकिंग सिस्टम की मदद से मॉड्यूल्स को इंटरलॉक किया जाएगा, जैसा ट्रेन के डिब्बे जुड़े होते हैं.
भारत की बड़ी छलांग
अभी तक केवल तीन देशों- सोवियत संघ (मीर स्टेशन), अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ISS और चीन के पास ही स्पेस स्टेशन रहे हैं. भारत इस सूची में चौथा देश बनेगा. यह सिर्फ तकनीकी क्षमता का प्रतीक नहीं होगा, बल्कि भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रयोगों में नई ऊंचाई पर ले जाएगा.
2035 तक भारत का स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में होगा और 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री (गगननॉट) चंद्रमा की सतह पर कदम रखेंगे. इस सपने की शुरुआत गगनयान मिशन से हो चुकी है.
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