न्यूज नेशन की ओर से कॉन्क्लेव 'हमार बिहार-प्रगति पथ पर' का आयोजन किया जा रहा है. इस कॉन्क्लेव में राष्ट्रीय लोक मोर्चा पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने…
न्यूज नेशन की ओर से बिहार चुनाव 2025 से पहले एक खास कॉन्क्लेव 'हमार बिहार-प्रगति पथ पर' का आयोजन किया जा रहा है. ये कार्यक्रम बिहार की राजधानी पटना स्थित ताज सिटी सेंट्रल होटल में आयोजित हो रहा है. इस कॉन्क्लेव में राष्ट्रीय लोक मोर्चा पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने शिरकत की. उन्होंने बिहार से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर बात की और विपक्षी पार्टी पर जमकर निशाना साधा. तो आइए नजर डालते हैं उनकी मुख्य बातों पर…
कुशवाहा साहब से जब पूछा गया कि इस बार तैयारी किस खेमे के लिए है, तो उन्होंने साफ कहा कि एनडीए ही फिक्स है. उन्होंने बताया कि मीडिया में कई तरह की बातें चलती रहती हैं, लेकिन उनका और उनकी पार्टी का भरोसा पूरी तरह से एनडीए पर है.
‘डूबेंगे तो साथ डूबेंगे’ बयान पर सफाई
उनसे जब उनके पुराने बयान पर सवाल किया गया कि ‘नाव डूबेगी तो सब साथ डूबेंगे’, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यह किसी राजनीतिक अस्थिरता का संकेत नहीं था. उनका मतलब यह था कि अगर कोई मंच या गठबंधन टूटेगा तो उसका असर सब पर होगा, अकेले किसी पर नहीं.
सीट बंटवारे पर चर्चा
सीटों की संख्या के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह एनडीए के अंदरूनी निर्णय का विषय है. विपक्ष को इस पर चिंता करने की जरूरत नहीं है. विपक्ष अगर इस पर चर्चा कर रहा है, तो इसका मतलब यह है कि शायद वे चाहते हैं कि हम उनके साथ चले जाएं. लेकिन हमारा रुख साफ है कि हम एनडीए में ही हैं और रहेंगे.
नीतिश को ठहराया जिम्मेदार
तेजस्वी यादव के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से उन्हें किसी से कोई दिक्कत नहीं है. लोकतंत्र में हर किसी को राजनीति करने का अधिकार है. हां, राजनीतिक रूप से उनकी और तेजस्वी की राहें अलग हैं. उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार का आरजेडी के साथ जाना एक बड़ी राजनीतिक गलती थी, क्योंकि उससे आरजेडी को नया जीवन मिल गया.
उत्तराधिकारी पर चर्चा
नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के मुद्दे पर कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने कभी किसी का नाम प्रस्तावित नहीं किया. यह पूरी तरह से नीतीश जी का फैसला है कि पार्टी का नेतृत्व भविष्य में किसे सौंपना है. उन्होंने यह जरूर कहा कि नीतीश जी के पास अनुभव है और वे मुख्यमंत्री बने रहें, यह बिहार के हित में है. लेकिन पार्टी को भी समय रहते अपने भविष्य की तैयारी करनी चाहिए.
शिक्षा और स्वास्थ्य पर दिया बयान
जब शिक्षा और पलायन के मुद्दे पर उनसे सवाल पूछा गया, तो कुशवाहा ने स्वीकार किया कि बिहार सरकार ने कई क्षेत्रों में अच्छा काम किया है, लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य दो ऐसे सेक्टर हैं जहाँ और अधिक काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि ‘पहले स्कूलों में न तो छात्र जाते थे और न ही शिक्षक. अब स्थिति में सुधार हुआ है, छात्र और शिक्षक दोनों नियमित आते हैं. सरकार ने उनकी 25 सूत्री मांगों में से कई को मानकर लागू किया है, जिससे धीरे-धीरे बदलाव दिखने लगा है’
उपेन्द्र कुशवाहा का परिचय
उपेन्द्र कुमार कुशवाहा बिहार के उन नेताओं में से हैं जिनका राजनीतिक सफर उतार-चढ़ावों से भरा है. उनका जन्म 6 फरवरी 1960 को वैशाली जिले में हुआ. शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि और मुजफ्फरपुर से राजनीति विज्ञान में एम.ए. किया. राजनीति में प्रवेश करते ही उन्होंने युवा लोकदल और युवा जनता दल जैसे संगठनों में काम किया. संता और समानता पर आधारित उनकी छवि ने उन्हें कोइरी समुदाय के बीच खासा लोकप्रिय बनाया.
2009 में उन्होंने राष्ट्रीय समता पार्टी (आरएसपी) की स्थापना की, बाद में इसे जनता दल (यूनाइटेड) के साथ मिला लिया गया. उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री का पद भी संभाला. हाल ही में उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) को जनता दल (यू) में विलय किया गया और इस प्रक्रिया में उन्हें जेडीयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष नामित किया गया. 2024 में, राज्यसभा का चुनाव निर्विरोध जीतकर उन्होंने फेडरल स्तर पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. राजनीतिक करियर में धैर्य और रणनीति उनका मुख्य हथियार रहे हैं. जहां कभी चुनाव हारने की स्थितियां रहीं, वहीं गठबंधनों में भागीदारी और पार्टी निर्माण जैसे फैसलों ने उन्हें बिहार की राजनीति में एक सुगठित खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है.
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