जॉर्जिया में सरकार विरोधी प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है. राजधानी त्बिलिसी में हजारों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन को घेर लिया. पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए वाटर कैनन, आंसू गैस और पेपर स्प्रे का इस्तेमाल किया.
जॉर्जिया इस समय बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. सड़कों पर हजारों की संख्या में लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. राजधानी त्बिलिसी (Tbilisi) के फ्रीडम स्क्वायर से लेकर राष्ट्रपति भवन तक लोगों की भीड़ उमड़ी हुई है. हालात इतने बिगड़ गए हैं कि पुलिस को भीड़ को रोकने के लिए वाटर कैनन, पेपर स्प्रे और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा है, लेकिन इसके बावजूद प्रदर्शन जारी हैं.
क्यों भड़का विरोध?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस पूरे आंदोलन की जड़ यूरोपियन इंटीग्रेशन यानी यूरोप से जुड़ाव के मुद्दे में है. विपक्षी दलों का आरोप है कि सत्ताधारी पार्टी ‘जॉर्जियन ड्रीम’ रूस के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है और जॉर्जिया को यूरोप से दूर करने की कोशिश कर रही है. लोगों की मांग है कि जो राजनीतिक कैदी हैं, उन्हें जेल से रिहा किया जाए और सरकार अपने फैसलों पर पुनर्विचार करे. विपक्ष का कहना है कि देश को यूरोपियन यूनियन के करीब रहना चाहिए, जबकि सरकार की नीतियां रूस के प्रभाव में दिखाई दे रही हैं. यही वजह है कि जनता में गुस्सा लगातार बढ़ रहा है.
सत्ता पर संकट और अराजकता का माहौल
यह विरोध अचानक शुरू नहीं हुआ है. पिछले साल अक्टूबर में हुए चुनावों में धांधली के आरोप लगे थे. तभी से नाराजगी धीरे-धीरे बढ़ रही थी. करीब 300 दिनों से देश में छोटे-बड़े प्रदर्शन हो रहे थे, जो अब बड़े हिंसक रूप में बदल गए हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार लोकतंत्र को कमजोर कर रही है और विपक्षी नेताओं को जेल में डाल रही है. यही कारण है कि अब लोगों ने सड़कों पर उतरकर खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है.
स्थिति अब इतनी गंभीर हो चुकी है कि राष्ट्रपति भवन तक प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया है. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हो रही हैं. कई जगह आगजनी की खबरें भी हैं. सुरक्षा बलों के नियंत्रण से हालात बाहर होते दिख रहे हैं. यह पूरा घटनाक्रम बताता है कि देश की प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई है. सरकार विरोध को दबाने में नाकाम साबित हो रही है.
रूस बनाम पश्चिम की लड़ाई का असर
जॉर्जिया का यह संकट केवल घरेलू राजनीति तक सीमित नहीं है. यह एक तरह से रूस और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ते तनाव की झलक भी दिखा रहा है. प्रदर्शनकारियों ने कई जगह रशियन झंडे जलाए हैं, जिससे साफ है कि यह विरोध रूस समर्थक नीतियों के खिलाफ है.
अभी यह कहना मुश्किल है कि यह विरोध कब और कैसे खत्म होगा. लेकिन हालात जिस दिशा में जा रहे हैं, उससे साफ है कि जॉर्जिया में सत्ता परिवर्तन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. कई विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश में जनता के विरोध से सत्ता बदली, वैसा ही परिदृश्य अब जॉर्जिया में भी बनता दिख रहा है. फिलहाल, वहां अराजकता का माहौल है और पुलिस-प्रशासन प्रदर्शनकारियों को रोकने की पूरी कोशिश में लगा है, लेकिन गुस्से की लहर थमती नजर नहीं आ रही.
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