लद्दाख में हिंसक विरोध के बीच पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक मुश्किल में घिर गए हैं. आरोप है कि गैरकानूनी तरीके से विदेशी फंडिंग ली गई. अब सीबीआई और ईडी उनके खातों और फंडिंग की जांच कर रही हैं.
लद्दाख में हाल ही में भड़की हिंसा के बाद पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक गंभीर आरोपों में घिर गए हैं. सीबीआई पिछले दो महीने से उनकी संस्था हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस लर्निंग (एचआईएल) और उससे जुड़ी इकाइयों की फंडिंग की जांच कर रही है. आरोप है कि एनजीओ ने विदेशी फंडिंग गैरकानूनी तरीके से हासिल की. जांच में यह भी सामने आया है कि कई बैंक खाते घोषित नहीं किए गए और करोड़ों रुपए संदिग्ध रूप से विदेश से आए.
विदेशी फंडिंग और छिपे हुए अकाउंट
सरकारी सूत्रों के अनुसार, वांगचुक और उनकी संस्थाओं से जुड़े कई बैंक खाते छिपाए गए. एचआईएल के सात खातों में से चार घोषित नहीं हैं. संस्था को पिछले साल 6 करोड़ का डोनेशन मिला था, जबकि इस बार यह बढ़कर 15 करोड़ तक पहुंच गया. इनमें से 1.5 करोड़ रुपए से ज्यादा विदेशी रकम बिना एफसीआरए पंजीकरण के आई. इसी तरह सिमोल संस्था के नौ खातों में से छह घोषित नहीं किए गए. खुद सोनम वांगचुक के नौ व्यक्तिगत खाते मिले, जिनमें से आठ का विवरण अधिकारियों को नहीं दिया गया.
जांच में पता चला है कि 2018 से 2024 के बीच 1.68 करोड़ की विदेशी रकम अलग-अलग खातों में आई. वहीं 2021 से 2024 के बीच उन्होंने अपने निजी खातों से 2.3 करोड़ रुपये विदेश भेजे.
गृह मंत्रालय की कड़ी कार्रवाई
लद्दाख में हिंसा के 24 घंटे बाद गृह मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया. मंत्रालय ने वांगचुक से जुड़ी संस्था सिमोल का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया. मंत्रालय ने कहा कि इस संस्था ने विदेशी योगदान कानून का बार-बार उल्लंघन किया है. सिमोल को सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए पंजीकृत किया गया था, लेकिन इसकी फंडिंग में गड़बड़ियां पाई गईं. अगस्त 2025 में संस्था को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिस पर सितंबर में जवाब आया, लेकिन वह संतोषजनक नहीं माना गया.
वांगचुक का पलटवार और विवाद
हिंसा के बाद गृह मंत्रालय ने सोनम वांगचुक को भीड़ को भड़काने का जिम्मेदार बताया. उन्होंने भूख हड़ताल खत्म की, लेकिन सरकार पर आरोप लगाया कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है. वांगचुक का कहना है कि सरकार उनकी आवाज दबाने के लिए एफसीआरए उल्लंघन और विदेशी फंडिंग जैसे आरोप लगा रही है.
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत जेल भेजा गया तो हालात और बिगड़ सकते हैं.
हिंसा और जन आंदोलन
दरअसल, सोनम वांगचंग लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. इसी मांग को लेकर उन्होंने 10 सितंबर से भूख हड़ताल शुरू की थी. बुधवार (24 सितंबर) को हालात बेकाबू हो गए और 1989 के बाद सबसे गंभीर हिंसा भड़की. गुस्साए युवाओं ने भाजपा कार्यालय और हिल काउंसिल पर हमला कर दिया, वाहनों को आग लगा दी. पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया. इस झड़प में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई, जबकि 30 पुलिसकर्मियों समेत 80 से ज्यादा लोग घायल हुए.
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