Delhi-NCR Air Pollution: दिवाली से पहले ही डराने लगी दिल्ली की हवा, कई इलाकों में बेहद खराब स्थिति

दिवाली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर की हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. कई इलाकों में एक्यूआई 300 के पार दर्ज किया गया है. विशेषज्ञों ने सांस के मरीजों को सतर्क रहने की सलाह दी है.

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Deepak Kumar
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दिवाली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर की हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. कई इलाकों में एक्यूआई 300 के पार दर्ज किया गया है. विशेषज्ञों ने सांस के मरीजों को सतर्क रहने की सलाह दी है.

दिवाली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर की हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. कई इलाकों में एक्यूआई 300 के पार दर्ज किया गया है. दिवाली के बाद 21 अक्टूबर को दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बहुत गंभीर हो सकता है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस दिन एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 से ऊपर जा सकता है. फिलहाल भी दिल्ली की हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है. शनिवार (18 अक्टूबर) सुबह अक्षरधाम के पास AQI 230 और जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के पास 252 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है.

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फसल जलाने, गाड़ियों और पटाखों से बढ़ा प्रदूषण

विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण पराली जलाना, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं और पटाखों का धुआं हैं. दीपावली से पहले ही एनसीआर के कई शहरों में हवा की गुणवत्ता खराब हो चुकी है. मेरठ का AQI 273 दर्ज किया गया और वह देश के सबसे प्रदूषित शहरों में छठे स्थान पर पहुंच गया. गाजियाबाद में AQI 324, बागपत 286, मुजफ्फरनगर 283, हापुड़ और नोएडा में भी 300 के करीब रहा.

प्रदूषण से सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ा

प्रदूषण बढ़ने से सांस लेने में दिक्कत, खांसी, बुखार, सीने में दर्द और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. सीओपीडी, अस्थमा या टीबी के मरीजों को अधिक परेशानी हो रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि जिन लोगों को पहले से कोई बीमारी नहीं है (खासकर बच्चे और बुजुर्ग) वे भी कमजोर इम्युनिटी के कारण खतरे में हैं.

ग्रीन पटाखे भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं

सरकार द्वारा ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की सलाह दी गई है, जिससे प्रदूषण कुछ हद तक कम हो सकता है, लेकिन ये पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं. गाड़ियों का धुआं सालभर प्रदूषण का बड़ा कारण बना रहता है, और अक्टूबर-नवंबर में हवा की गति धीमी होने से धुआं नीचे रुक जाता है, जिससे हवा और जहरीली हो जाती है.

सुरक्षा के उपाय जरूरी

विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि वे गाड़ियों का कम इस्तेमाल करें और वाहन के प्रदूषण स्तर को नियंत्रित रखें. घरों में एयर प्यूरीफायर लगाएं और रसोई में वेंटिलेशन ठीक रखें. अगरबत्ती या धुआं फैलाने वाले स्रोतों से बचें. सांस के मरीज अपनी नियमित दवाएं लें और बाहर निकलते समय N95 या डबल सर्जिकल मास्क पहनें.

सरकार की तैयारी और निगरानी

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने हाल ही में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का पहला चरण लागू किया है. इसके तहत निर्माण स्थलों पर कवर लगाना, सड़कों पर पानी का छिड़काव और धूल कम करने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन प्रदूषण का स्तर फिलहाल घटने के बजाय बढ़ रहा है.

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