देश में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौतों के बाद बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि मलिक ने चेतावनी दी है कि छह साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल नहीं देना चाहिए. उन्होंने बताया कि इसका कोई फायदा नहीं, बल्कि गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं.
मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौतों के बाद अब देशभर में चिंता बढ़ गई है. इस बीच, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि मलिक ने बताया कि छह साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह कोई नई एडवाइजरी नहीं है- दुनियाभर की पीडियाट्रिक संस्थाएं पहले से ही चेतावनी दे चुकी हैं कि चार साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप देना खतरनाक है.
कफ सिरप का कोई फायदा नहीं, बल्कि नुकसान ज्यादा
डॉ. मलिक के अनुसार, कफ सिरप का छोटे बच्चों पर कोई लाभकारी प्रभाव नहीं होता, बल्कि इसके साइड इफेक्ट बहुत गंभीर हो सकते हैं. इससे बच्चों को सांस लेने में दिक्कत, हृदय गति की अनियमितता (एरिदमिया), बेहोशी, या एक्सीडेंटल पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए कफ सिरप की जगह हाइड्रेशन (पानी पिलाना), नेजल सलाइन ड्रॉप्स, और ह्यूमिडिफिकेशन से बच्चों को राहत दी जा सकती है.
खांसी का असली कारण पहचानना जरूरी
डॉ. मलिक की मानें तो हर बच्चे की खांसी का कारण अलग होता है- अस्थमा, एलर्जी या टॉन्सिल जैसी समस्याओं में इलाज भी अलग-अलग होता है. इसलिए खांसी का असली कारण पहचानकर डॉक्टर की सलाह से इलाज करना चाहिए, न कि खुद से कोई सिरप देना.
साथ ही डॉ. मलिक ने बताया कि अगर बच्चा छह साल से बड़ा है, तो भी कफ सिरप केवल डॉक्टर की सलाह पर ही देना चाहिए. कई बार माता-पिता घर में रखे बड़ों के कफ सिरप बच्चों को दे देते हैं, जो बहुत हानिकारक हो सकता है.
कफ सिरप में मिल सकते हैं जहरीले केमिकल्स
डॉ. मलिक ने चेताया कि कुछ सिरप में डाईथाइल ग्लाइकॉल जैसे जहरीले पदार्थ मिल जाते हैं, जो इंसानों के लिए खतरनाक हैं और गुर्दे फेल कर सकते हैं. इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह और जांचे बिना किसी भी कफ सिरप का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. किसी भी उम्र के बच्चे को दवा केवल डॉक्टर की सलाह से ही दी जानी चाहिए.
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