उत्तराखंड के धराली में हाल ही में आई आपदा का दर्द अभी कम भी नहीं हुआ था कि कुदरत ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में भी अपना कहर बरपा दिया. गुरुवार को दोपहर के वक्त पहाड़ों के ऊपर बादल फटा, जिससे मलबा और तेज पानी नीचे की ओर बहता चला गया. देखते ही देखते कई घर, दुकानें और सड़कें बर्बाद हो गईं. नदियों में उफान आ गया और सैलाब ने मौत का मंजर पैदा कर दिया. इस आपदा की चपेट में मचैल माता यात्रा भी आ गई, जिसे बीच में रोकना पड़ा और श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला गया.
भारी बारिश और मलबे ने मचाई तबाही
किश्तवाड़ में बादल फटते ही हालात बिगड़ने लगे. पहाड़ों से पानी और मलबा इतनी तेजी से नीचे आया कि सड़कें टूट गईं, ट्रैफिक ठप हो गया और कई लोग फंस गए. श्रीनगर-लेह नेशनल हाईवे भी तेज बहाव में क्षतिग्रस्त हो गया. बाजारों में पानी और पत्थरों का ढेर लग गया. कई गाड़ियां बह गईं और पेड़ उखड़ गए. सेना और राहत दल ने पेड़ों के तनों के सहारे फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला.
फ्लैश फ्लड से बढ़ा खतरा
कुपवाड़ा जिले के कर्नाह वैली में काजी नाला का पानी उफान पर आ गया. यहां तेज बहाव में कुछ लोग खतरे के करीब पहुंच गए, हालांकि वे बाल-बाल बचे. गांदरबल के कंगन इलाके में भी बादल फटा, जिससे रायलग के ऊपरी हिस्सों में अचानक बाढ़ आ गई. पानी ने मुख्य बाजार में भी तबाही मचाई. बांदीपुरा के तैलगाम इलाके में फ्लैश फ्लड ने मलबा और पत्थर गांव में फैला दिया, जिससे लोग डर में जीने को मजबूर हो गए.
पर्यटन स्थलों पर भी संकट
पहलगाम और उसके आसपास की नदियां इस समय तेज रफ्तार से बह रही हैं. अगर बारिश और बढ़ी, तो रिहायशी इलाकों तक पानी पहुंच सकता है. कई जगहों पर पानी सड़कों के बीच से बह रहा है, जिससे लोग सुरक्षित जगहों की ओर जाने की कोशिश कर रहे हैं. श्रीनगर-लेह मार्ग पर भी पानी और मलबे का खतरा बना हुआ है, जहां गाड़ियां बेहद सावधानी से गुजर रही हैं.
राहत-बचाव अभियान जारी
सेना, पुलिस और आपदा प्रबंधन दल लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं. फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए हर संभव प्रयास हो रहे हैं. लेकिन लगातार हो रही बारिश से चुनौती बढ़ गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में इस समय मौसम बेहद अस्थिर है, ऐसे में स्थानीय लोगों और यात्रियों को सतर्क रहना चाहिए.
जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में बादल फटने की ये घटनाएं एक बार फिर दिखाती हैं कि पहाड़ी इलाकों में मौसम का मिजाज पलक झपकते ही बदल सकता है और इसकी मार सबसे ज्यादा इंसानी बस्तियों और बुनियादी ढांचे पर पड़ती है.
यह भी पढ़ें- CM धामी के निर्देश पर धराली में आपदा प्रभावितों को मिली आर्थिक मदद, 5-5 लाख रुपये के चेक बांटे