बिहार चुनाव 2025 में पटना की फुलवारी शरीफ सीट पर सियासी मुकाबला दिलचस्प हो गया है. यहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 53% है. पिछले चुनाव में सीपीआई (एमएल) ने जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार मुकाबला आरजेडी, जेडीयू और...
बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, पटना से सटा फुलवारी शरीफ विधानसभा क्षेत्र चर्चा में है. यह इलाका अपनी बड़ी मुस्लिम आबादी और तंग गलियों के लिए जाना जाता है. यहां करीब 53% मुस्लिम और 47% हिंदू मतदाता हैं. 2020 के चुनाव में इस सीट पर सीपीआई (एमएल) के गोपाल रविदास ने जीत दर्ज की थी, जबकि इससे पहले यह सीट जेडीयू का गढ़ मानी जाती थी. इस बार मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है- आरजेडी, जेडीयू और प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के बीच.
जनता के बीच बटी राय, मुद्दे वही पुराने
फुलवारी शरीफ की गलियों में ‘बड़े मियां किधर चले’ टीम ने जब जनता से बात की तो राय बंटी दिखी. कुछ लोगों का कहना है कि नीतीश कुमार ने राज्य में विकास किया है, वहीं कुछ तेजस्वी यादव को ‘युवा चेहरा’ मानकर बदलाव चाहते हैं. कई लोगों ने बताया कि इलाके में ट्रैफिक जाम, नशाखोरी और बेरोजगारी बड़ी समस्याएं हैं. बाजारों में व्यापारियों ने कहा कि विकास तभी होगा जब पढ़े-लिखे उम्मीदवार को मौका मिले. एक स्थानीय बुजुर्ग ने कहा, ‘यहां विधायक दिखते ही नहीं हैं, बस चुनाव के वक्त आते हैं.’
ओवैसी और प्रशांत किशोर का नया फैक्टर
फुलवारी शरीफ में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कुछ असर जरूर है, लेकिन मुस्लिम वोटर उन्हें खुलकर स्वीकार नहीं कर रहे. अधिकांश लोग मानते हैं कि मुसलमानों का कोई ठोस रहनुमा नहीं है. वहीं, प्रशांत किशोर का जनसुराज मिशन यहां धीरे-धीरे चर्चा में आ रहा है. कई मतदाता मानते हैं कि ‘प्रशांत किशोर का विजन ठीक है और वह समाज के लिए कुछ नया कर सकते हैं.’
चाय की चुस्की पर चुनावी चर्चा
फुलवारी शरीफ की गलियों में जब लोग चाय की दुकानों पर जुटे तो चर्चा सिर्फ एक- ‘कौन आएगा इस बार?’ एक युवक ने कहा, ‘नीतीश जी ने विकास किया है, लेकिन अब वक्त बदलाव का है.’ वहीं दूसरे ने कहा, ‘एनडीए को इस बार बहुमत मिलेगा, क्योंकि नीतीश ने शिक्षा और रोजगार में काम किया है.’ कई लोगों ने बताया कि सरकार ने मुस्लिम युवाओं के लिए हज भवन में मुफ्त कोचिंग जैसी योजनाएं शुरू की हैं.
1977 में अस्तित्व में आई इस सीट पर अब तक कांग्रेस, जेडीयू और सीपीआई (एमएल) का कब्जा रहा है. कभी श्याम रजक जैसे नेताओं का दबदबा यहां था, लेकिन अब नए चेहरों और बदलते समीकरणों ने तस्वीर बदल दी है.
कौन मारेगा बाजी?
फुलवारी शरीफ की जनता आज भी स्थानीय मुद्दों से परेशान है. विधायक से नाराजगी साफ दिख रही है. कुछ लोग बदलाव चाहते हैं, तो कुछ नीतीश के काम पर भरोसा जता रहे हैं. अब देखना यह है कि 2025 में यह सीट किसके हाथ जाती है- तेजस्वी, नीतीश या फिर कोई नया चेहरा फुलवारी की जनता का दिल जीतता है.
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