बनारस में कोडीन युक्त कफ सिरप की अवैध बिक्री का भंडाफोड़, दो आरोपी गिरफ्तार

वाराणसी पुलिस ने कोडीन आधारित कफ सिरप की अवैध बिक्री के मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया. जांच में सामने आया कि फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर ड्रग लाइसेंस हासिल कर करोड़ों रुपये का अवैध व्यापार किया जा रहा था.

वाराणसी पुलिस ने कोडीन आधारित कफ सिरप की अवैध बिक्री के मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया. जांच में सामने आया कि फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर ड्रग लाइसेंस हासिल कर करोड़ों रुपये का अवैध व्यापार किया जा रहा था.

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Ravi Prashant
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कोडीन युक्त कफ सिरप Photograph: (Grok AI)

वाराणसी पुलिस ने शहर में कोडीन आधारित कफ सिरप की अवैध बिक्री के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान विशाल कुमार जायसवाल और बादल आर्या के रूप में हुई है. पुलिस के अनुसार यह अवैध कारोबार फर्जी दस्तावेज़ों पर प्राप्त ड्रग लाइसेंस और कई मेडिकल संस्थानों के माध्यम से संचालित किया जा रहा था. डीसीपी (काशी ज़ोन) गौरव बनसवाल ने बताया कि इस नेटवर्क का संचालन संगठित तरीके से किया जाता था और इसका उद्देश्य कफ सिरप को नशे के रूप में बेचकर भारी मुनाफा कमाना था.

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ऐसे शुरू हुआ अवैध कारोबार

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि शैले ट्रेडर्स के शुभम जायसवाल ने जाली दस्तावेज़ों के माध्यम से ड्रग लाइसेंस प्राप्त किया था. इस लाइसेंस का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कोडीन आधारित कफ सिरप खरीदने और बेचने के लिए किया गया. अधिकारियों के अनुसार, शुभम जायसवाल ने इस अवैध गतिविधि को आगे बढ़ाने के लिए विशाल कुमार और बादल आर्या को अपने नेटवर्क से जोड़ा. दोनों को तेज़ी से पैसा कमाने का लालच दिया गया और वे इस कारोबार में शामिल हो गए.

जांच के दौरान पता चला कि शुभम जायसवाल ने अमित जायसवाल (प्रोपराइटर, श्रीहरि फार्मा एंड सर्जिकल एजेंसी) और अन्य के साथ मिलकर नकली दस्तावेज़ तैयार करवाए, जिनकी मदद से आरोपियों को ड्रग लाइसेंस उपलब्ध कराया गया. इसके बाद इन लाइसेंसों के जरिए भारी मात्रा में कफ सिरप खरीदा गया और उसे अवैध बाजार में खपाया गया.

बैंक खातों का दुरुपयोग और कमीशन के नाम पर लेन-देन

डीसीपी बनसवाल ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ में इस नेटवर्क के वित्तीय लेन-देन की गुत्थी भी सामने आई. विशाल और आर्या ने स्वीकार किया कि शुभम जायसवाल और दिवेश जायसवाल उनके बैंक खातों का नियंत्रण रखते थे. दिवेश के पास उनके खातों की पूरी जानकारी थी और धन हस्तांतरण के समय वह उनसे ओटीपी भी मांगता था.

आरोपियों को हर महीने 30,000 से 40,000 रुपये का कमीशन दिया जाता था, जबकि वास्तविक धनराशि जल्द ही शैले ट्रेडर्स के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती थी. इस तरीके से पूरे नेटवर्क ने लगभग एक वर्ष में करीब 7 करोड़ रुपये का कारोबार किया.

लाखों बोतलों का लेन-देन

पुलिस ने बताया कि विशाल कुमार की फर्म हरिओम फार्मा ने शैले ट्रेडर्स से 4,18,000 बोतल कफ सिरप खरीदी, जिन्हें 5 करोड़ रुपये से अधिक में बेचा गया. इसी प्रकार, बादल आर्या की फर्म काल भैरव ट्रेडर्स ने 1,23,000 बोतलें खरीदीं जिन्हें 2 करोड़ रुपये से अधिक में बेचा गया.

अधिकारियों का कहना है कि यह मामला न सिर्फ अवैध दवा व्यापार से संबंधित है, बल्कि एक विस्तृत वित्तीय और अपराधी नेटवर्क का संकेत भी देता है. पुलिस मामले की आगे जांच कर रही है और संभावित रूप से जुड़े अन्य व्यक्तियों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है.

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