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यूपी विधानसभा चुनाव: पूर्वांचल फतह के लिए पीएम मोदी का चक्रव्यूह, दो दिनों तक जमें रहेंगे बनारस में

उत्तर प्रदेश की कुर्सी पूर्वांचल फतह के बाद ही मिलती है। जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी के ज्यादातर मंत्री बनारस में मौजूद हैं।

Updated on: 04 Mar 2017, 08:54 AM

highlights

  • 6 और 7 वें चरण में पीएम मोदी और बीजेपी की किस्मत दांव पर
  • पीएम मोदी 4 और 5 मार्च को बनारस में रुकेंगे मोदी, दो रैलियों को करेंगे संबोधित
  • राहुल-अखिलेश और मायावती भी 4 मार्च को बनारस में होंगे

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश की कुर्सी पूर्वांचल फतह के बाद ही मिलती है। जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी के ज्यादातर मंत्री बनारस में मौजूद हैं। पूर्वांचल इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अच्छे दिनों की भी परख करेगा। प्रधानमंत्री का बनारस दौरा पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष को कम करने की  है। इसके अलावा पार्टी के साथ-साथ प्रधानमंत्री की अपनी साख भी दांव पर है। 

पूर्वाचल में अंतिम दो चरणों में 4 मार्च और 8 मार्च को वोट डाले जाएंगे। जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने रैलियों के जरिये पूरी ताकत झोंक दी है। वह 4 मार्च शाम को बनारस पहुंचेंगे और काशी विश्वनाथ के दर्शन करेंगे। इसके बाद वह चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे।

पूर्वांचल खास कर बनारस में चुनाव की अहमियत का पता इससे लगा सकते हैं कि पीएम रात में वहीं रुकेंगे और अगले दिन यानी 5 मार्च को बनारस में ही एक और रैली को संबोधित करेंगे।

मोदी के अलावा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती, प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी 4 मार्च को वाराणसी में होंगे। ऐसे में चार मार्च के दिन काशी में सियासी दंगल देखने को मिलेगा। विपक्ष बनारस में पीएम मोदी को चुनौती देता नजर आ रहा है।

दरअसल प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट के मंत्री बनारस में किसी भी तरह की जोखिम मोल नहीं लेना चाहते हैं। बनारस पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र है। उनके संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटे हैं वहीं पूरे बनारस जिले में आठ विधानसभा सीटें हैं। 2012 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 3 सीटें जीती थी जबकि एसपी को 2, बीएसपी को 2 और कांग्रेस को 1 सीटो पर कामयाबी मिली थी।

साथ ही पड़ोसी जिलों मिर्जापुर, आजमगढ़, मऊ व गाजीपुर में पार्टी का कोई विधायक नहीं है। बलिया और चंदौली में भी बीजेपी के पास इस समय एक-एक विधायक ही हैं। पीएम का इरादा इस बार के चुनाव में सभी सीटों पर कब्जा जमाने का है।

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पीएम के कामकाज और सोशल इंजीनियरिंग के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, मनोज सिन्हा, पियूष गोयल समेत कई मंत्री बनारस में डेरा डाले हैं। बीजेपी की रणनीति को लोगों तक पहुंचाने के लिए पार्टी का 'वॉर रूम' भी लखनऊ से बनारस में शिफ्ट कर दिया गया है।

भले ही बीजेपी हर तरह के हथकंडे अपना रही हो लेकिन पार्टी में बगावत, केंद्र के कामकाज से लोगों तक नहीं पहुंचना, कांग्रेस-समाजवादी पार्टी का गठबंधन, मायावती का सोशल इंजीनियरिंग के सामने पसीने छूट रहे हैं।

बगावत बनी मुसीबत

बनारस में बीजेपी में टिकट बंटवारे को लेकर खासी नाराजगी देखी गई है। टिकट को लेकर बीजेपी की परंपरागत सीट शहर दक्षिणी और कैंट विधानसभा की सीट पर ज्यादा असंतोष है।

शहर दक्षिणी में 7 बार से विधायक रहे श्यामदेव चौधरी को बीजेपी ने इसबार टिकट नहीं दिया। जिससे स्थानीय कार्यकर्ता नाराज हैं। दादा के उपनाम से मशहूर श्यामदेव राय चौधरी का धड़ा बीजेपी को कड़ी चुनौती दे रहा है।

बीजेपी ने यहां से ब्राह्मण चेहरे नीलकंठ तिवारी को उम्मीदवार बनाया है। जिसके मुकाबले कांग्रेस-सपा गठबंधन और बीएसपी ने भी ब्राह्मण चेहरे को उम्मीदवार बनाया है। जिसे मुस्लिम वोट मिलने की उम्मीद है। इलाके में करीब 2 लाख 80 हजार मतदाता हैं जिसमें 80 हजार से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं।

बीजेपी को वाराणसी में ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य-बनिया वोटों के समर्थन से बल मिलता है। इलाके में करीब दो लाख अस्सी हजार मतदाता हैं जिसमें 80 हजार से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं.

क्या है सीटों का समीकरण

पूर्वांचल के 28 जिलों में 150 सीटें हैं। जहां दलित, पिछड़े, ब्राह्मण, ठाकुर, मुसलमान समेत कई कई जातियां उत्तर प्रदेश की राजनीतिक रूख बदलती है।

अगर 28 जिलों की 150 सीटों की बात करें तो 2007 में पूर्वांचल ने 79 सीटें बीएसपी की झोली डालकर सत्ता तक पहुंचा दिया। लेकिन 2012 में समाजवादी पार्टी की तरफ लहर रही। पार्टी ने 85 सीटों पर जीत हासिल की जबकि बीएसपी 25 पर सिमट गई।

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हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव ने सभी को चौंका दिया। मोदी लहर में समाजवादी पार्टी मात्र एक सीटों पर सिमट गई तो वहीं अन्य प्रमुख दल खाता भी नहीं खोल सकी। समाजवादी पार्टी ने पूर्वांचल के आजमगढ़ लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। बीजेपी 2014 की तरह विधानसभा चुनाव में भी मिसाल कायम करना चाहती है।

प्रमुख चेहरे का भविष्य दांव पर
केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र (देवरिया), मनोज सिन्हा (गाजीपुर), महेंद्रनाथ पांडेय (चंदौली), बीजेपी के सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल (मिर्जापुर) पूर्वांचल से ही सांसद हैं। बीजेपी की जीत और हार से सभी का भविष्य तय करेगा। बीजेपी के कद्दावर नेता और गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ के लिए भी यह चुनाव चुनौती है। उनका गोरखपुर के आसपास दर्जनभर जिलों पर असर है। लेकिन वो हिन्दू युवा वाहिनी की बगावत से जूझ रहे हैं।

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