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Photograph: (Canva)
World AIDS Day: World AIDS Day यानी ‘विश्व एड्स दिवस’ हर साल 1 दिसंबर को मनाया जाता है. यह दिन इसलिए चुना गया क्योंकि यह तारीख राजनीतिक चुनाव या त्योहारों से प्रभावित नहीं होती- मतलब ये दिन लगभग हर देश में ‘न्यूट्रल’ माना जाता है. इस तरह, दुनिया भर के लोग बिना किसी अन्य व्यस्तता के बस एड्स की समस्या की ओर ध्यान देने के लिए एक साथ जुड़ सकते हैं. आपको बता दें कि 1988 में पहली बार इसे मनाया गया था. बाद में, 1996 से UNAIDS (यूनाइटेड नेशन्स एड्स प्रोग्राम) ने इसे आधिकारिक रूप से आयोजित करना शुरू किया.
एड्स कब और क्यों खतरनाक है?
एड्स यानी HIV/AIDS- एक ऐसी बीमारी है, जो मनुष्य के प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) को धीरे-धीरे क्षति पहुंचाती है. साधारण संक्रमणों से लड़ने में शरीर असमर्थ हो जाता है. शुरुआत में हो सकता है कि कोई बड़ी तकलीफ न हो, पर जैसे-जैसे समय बीतता है, छोटे से छोटा संक्रमण भी जानलेवा बन सकता है. अब तक इसका कोई निश्चित इलाज नहीं मिला है. इसलिए जागरूकता, सुरक्षित व्यवहार और नियमित जांच का मतलब बहुत बढ़ जाता है.
Amid major funding cuts, millions living with or at risk of HIV face disrupted care, declining health and, in some cases, even death.@UNAIDS is calling for urgent action to ensure everyone has access to the care & support they need. https://t.co/x2RMZLasAq#WorldAIDSDaypic.twitter.com/L91xchS705
— United Nations (@UN) November 30, 2025
2025 की थीम
इस साल की थीम है- “Overcoming disruption, transforming the AIDS response.” अर्थात्- “विफलाओं व रुकावटों को पार करते हुए, एड्स से लड़ने की दिशा और मजबूत करें.” यह थीम इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि सरकारें, स्वास्थ्य संस्थाएं व समाज कई तरह की चुनौतियों और भ्रांतियों से जूझ रहे हैं. 2030 तक एड्स को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य है, लेकिन इसके लिए हर किसी को सही जानकारी, इलाज, सहारा और सम्मान मिलना जरूरी है.
क्यों मनाते हैं विश्व एड्स दिवस?
जानकारी फैलाना:- बहुत से लोग एड्स के बारे में गलत बातें सुन कर डर जाते हैं. इस दिन पर हम सच जान सकते हैं- एड्स कैसे फैलता है, कैसे नहीं फैलता, और इससे बचाव कैसे करना है.
कलंक मिटाना:- एड्स से पीड़ित लोग अक्सर सामाजिक बहिष्कार का सामना करते हैं. जागरूकता से हम उन्हें समझ सकते हैं, उनका सम्मान कर सकते हैं और उन्हें समुचित इलाज दिला सकते हैं.
सुरक्षित व्यवहार को बढ़ावा:- सही जानकारी व बचाव के तरीकों से संक्रमण से बचा जा सकता है.
एकता और सम्मान का संदेश:- यह दिन हमें याद दिलाता है कि एड्स कोई अकेले की समस्या नहीं बल्कि इंसानियत की कसौटी है.
एड्स एक खतरनाक बीमारी है, लेकिन डर, शर्म या कलंक ने इसे और खतरनाक बना दिया है. अगर हम सही जानकारी प्राप्त करें, सुरक्षित व्यवहार अपनाएं, नियमित जांच कराएं और साथ ही प्रभावित लोगों का साथ दें, तो हम एड्स की इस लड़ाई में कामयाब हो सकते हैं.
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