रेलवे में वेट‍िंग ल‍िस्‍ट का सीक्रेट 'क्रैक', ये है टिकट कंफर्म होने का सॉल‍िड फॉर्मूला!

जब आप ट‍िकट लेते हैं तो मोबाइल एप्‍स में ट‍िकट कन्‍फर्म होने के चांसेस ल‍िखे होते हैं लेक‍िन यह अक्‍सर गलत साब‍ित होते हैं. ऐसे में हम रेलवे के एक कैलकुलेशन के मुताब‍िक आपको बताने जा रहे हैं क‍ि आमतौर से क‍ितने ट‍िकट ही ट्रेन में कन्‍फर्म हो सकते हैं. 

जब आप ट‍िकट लेते हैं तो मोबाइल एप्‍स में ट‍िकट कन्‍फर्म होने के चांसेस ल‍िखे होते हैं लेक‍िन यह अक्‍सर गलत साब‍ित होते हैं. ऐसे में हम रेलवे के एक कैलकुलेशन के मुताब‍िक आपको बताने जा रहे हैं क‍ि आमतौर से क‍ितने ट‍िकट ही ट्रेन में कन्‍फर्म हो सकते हैं. 

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Shyam Sundar Goyal
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Demo Photo Photograph: (Social Media)

अगर आप ट्रेन से यात्रा करने का प्‍लान बनाते हैं तो आज सबसे बड़ी समस्‍या कन्‍फर्म ट‍िकट की है. जब कन्‍फर्म ट‍िकट नहीं म‍िलता है तो फ‍िर यात्री मजबूरी में वेट‍िंग ल‍िस्‍ट का ट‍िकट लेता है. जब आप ट‍िकट लेते हैं तो मोबाइल एप्‍स में ट‍िकट कन्‍फर्म होने के चांसेस ल‍िखे होते हैं लेक‍िन यह अक्‍सर गलत साब‍ित होते हैं. ऐसे में हम रेलवे के एक कैलकुलेशन के मुताब‍िक आपको बताने जा रहे हैं क‍ि आमतौर से क‍ितने ट‍िकट ही ट्रेन में कन्‍फर्म हो सकते हैं. 

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रेलवे ने इस बारे में कुछ आंकड़े जारी क‍िए हैं ज‍िसके मुताब‍िक ट‍िकट बुक‍िंग करने वाले 21 फीसद यात्री अपना ट‍िकट यात्रा के पहले ही करा लेते हैं. कुछ ऐसे यात्री होते हैं जो ट्रेन में सफर ही नहीं कर पाते और न ही ट‍िकट कैंस‍िल करवा पाते. ऐसे यात्रियों की संख्‍या 4 से 5 फीसदी होती है.  इसके अलावा रेलवे के पास एक इमरजेंसी कोटा होता है, उसमें भी कुछ सीट र‍िजर्व होती है. अगर इस कोटे का पूरा उपयोग नहीं होता तो इसके ट‍िकट भी वेट‍िंग ल‍िस्‍ट वाले यात्र‍ियों को द‍िया जाता है. इस तरह एक कोच में वेट‍िंग ल‍िस्‍ट की करीब 18 सीटें कन्‍फर्म हो पाती हैं.  

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इस तरह होती है वेट‍िंग ट‍िकट का काउंट‍िंग

एक कोच में 72 सीटें होती है. मान लीज‍िए एक ट्रेन में 10 स्‍लीपर कोच हैं. एक कोच में 18 कन्‍फर्म सीटें होती है. इस तरह 10 कोच की ट्रेन में करीब 180 तक की वेट‍िंग क्‍ल‍ियर हो सकती है.

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वेट‍िंग ट‍िकट कन्‍फर्म होने का समीकरण

अब जानते हैं क‍ि वेट‍िंग ट‍िकट कन्‍फर्म होने का समीकरण और क‍िन बातों पर न‍िर्भर करता है. त्योहारों के समय ट्रेनों में अध‍िक भीड़ होती तो वेट‍िंग ल‍िस्‍ट लंबी होती है. इस वजह से वेट‍िंग ट‍िकट कन्‍फर्म कम ही होता है. वहीं व्‍यस्‍त रूटों पर वेट‍िंग ल‍िस्‍ट अलग से काम करती है. स्‍लीपर कोच में वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों को सीट मिलने की संभावना थर्ड एसी, सेकेंड एसी और फर्स्ट एसी कोचों की तुलना में अधिक होती है. 

वेट‍िंग ट‍िकट को कान्‍फर्म होने का चांस कैसे बढ़ाएं 

अब हम जानते हैं क‍ि अपने वेट‍िंग ट‍िकट को कान्‍फर्म होने का चांस कैसे बढ़ा सकते हैं. तो इसमें कोई रॉकेट साइंस नहीं है. ज‍ितनी जल्‍दी हो, उतनी जल्‍दी ट‍िकट बुक करें ज‍िससे कम वेट‍िंग ल‍िस्‍ट नंबर म‍िले. व्‍यस्‍त रूटों की जगह कम व्‍यस्‍त रूट चुनें. यात्रा की हम डेट को लेकर कन्‍फर्म नहीं है तो तीन अलग-अलग डेट्स में ट‍िकट बुक करके देख सकते हैं.     

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