Property News: पिता की इन संपत्ति पर नहीं होगा बेटी का अधिकार, जानिए क्या कहता है कानून

समय के साथ-साथ बेटियों को भी बेटों की तरह ही समान अधिकार मिलने लगे हैं. नौकरी से लेकर पिता की संपत्ति तक हर काम में बेटियों को उनका अधिकार दिया जा रहा है, लेकिन कुछ स्थितियां ऐसी भी हैं जहां बेटी पिता की संपत्ति में अधिकार नहीं मांग सकती.

समय के साथ-साथ बेटियों को भी बेटों की तरह ही समान अधिकार मिलने लगे हैं. नौकरी से लेकर पिता की संपत्ति तक हर काम में बेटियों को उनका अधिकार दिया जा रहा है, लेकिन कुछ स्थितियां ऐसी भी हैं जहां बेटी पिता की संपत्ति में अधिकार नहीं मांग सकती.

author-image
Dheeraj Sharma
New Update
Property News daughter right in father assets

Property News: भारतीय समाज में बेटियों को सदियों से “लक्ष्मी का रूप” कहा जाता रहा है. उन्हें परिवार की रौनक, स्नेह और संस्कारों का प्रतीक माना जाता है. बदलते वक्त के साथ अब बेटियों को अधिकार दिलाने की दिशा में गंभीर पहल भी हुई है. खासकर संपत्ति में बेटियों के अधिकार को लेकर 2005 में एक ऐतिहासिक बदलाव किया गया, जब हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में संशोधन कर उन्हें बेटों के समान अधिकार प्रदान किए गए, लेकिन कानून में कुछ ऐसी स्थितियां भी हैं, जिनमें बेटियों को अपने पिता की संपत्ति पर दावा नहीं मिल पाता.

Advertisment

बेटियों को कब मिलता है संपत्ति में अधिकार?

हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के अनुसार अब बेटियां भी पैतृक संपत्ति में समान उत्तराधिकारी हैं. मतलब यह कि जैसे बेटों को अपने पिता की पैतृक संपत्ति में हक है, वैसे ही बेटियों को भी बराबरी का अधिकार है. यह अधिकार शादी के बाद भी बना रहता है, और बेटियों की वैवाहिक स्थिति इस पर असर नहीं डालती.

कब नहीं मिलता बेटियों को अधिकार?

हालांकि इस कानून में कुछ विशेष स्थितियां ऐसी हैं, जिनमें बेटियां अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार नहीं जता सकतीं:

1. स्व-अर्जित संपत्ति पर अधिकार नहीं

यदि पिता ने संपत्ति अपनी मेहनत और कमाई से अर्जित की है, और उन्होंने वसीयत के जरिए उसे किसी अन्य को दे दिया है, तो उस पर बेटियों का कानूनी दावा नहीं होता. केवल पैतृक संपत्ति पर ही बेटियों को अधिकार दिया गया है.

2. पिता के जीवित रहते दावा नहीं

जब तक पिता जीवित हैं, तब तक बेटियां उनकी संपत्ति पर स्वतः कोई दावा नहीं कर सकतीं. यह अधिकार उत्तराधिकार की प्रक्रिया के दौरान ही सामने आता है, यानी पिता के निधन के बाद.

3. विवादित संपत्ति पर दावा नहीं

यदि पिता की संपत्ति किसी कानूनी विवाद या मुकदमे में उलझी हुई है, तो ऐसे मामलों में भी बेटियों का अधिकार तत्काल प्रभावी नहीं होता. कोर्ट का निर्णय ही यह तय करता है कि उत्तराधिकार कैसे और किसे मिलेगा.

समानता की दिशा में एक बड़ा कदम

इस संशोधित कानून का उद्देश्य यह था कि बेटियों को समाज में बराबरी का दर्जा मिले, और उन्हें वह आर्थिक स्वतंत्रता और सुरक्षा प्राप्त हो जो बेटों को मिलती है. हालांकि कुछ तकनीकी शर्तों और संपत्ति के प्रकारों को लेकर अब भी सीमाएं मौजूद हैं, लेकिन यह बदलाव समानता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाता है.

हक है, मगर शर्तों के साथ

बेटियों को अब भारतीय कानून के तहत पैतृक संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार जरूर मिला है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में यह अधिकार सीमित हो जाता है. स्व-अर्जित संपत्ति, पिता के जीवनकाल, या संपत्ति के विवाद की स्थिति में बेटियों को हक नहीं मिल पाता. 

यह भी पढ़ें - Kaam Ki Khabar: 1000 रुपये का चेक बाउंस हो गया तो क्या होगा? जानें सरकार का नियम

utility news in hindi Utility News Latest Utility News daughters right in ancestral property property news daughter rights
      
Advertisment