हुनर को तराशने के लिए और फिर हुनर से पैसा कमाने के लिए सरकारें कई तरह की योजनाएं चलाती हैं. ऐसी ही एक योजना का नाम है 'पीएम विश्वकर्मा योजना' जिसमें नाम लिखाने के बाद आपको कई तरह के लाभ मिलते हैं जिससे आप अपने जीवन स्तर को सुधार सकते हैं. इस योजना में पत्थर तराशने वाले, लोहार, ताला और ऐसे ही श्रमिक आते हैं जो अपने हाथों से विश्वकर्मा की तरह नई-नई चीजें गढ़ते हैं.
पीएम विश्वकर्मा योजना से जुड़ने के बाद आपको कुछ दिनों की ट्रेनिंग दी जाएगी और ट्रेनिंग के दौराना रोजाना 500 रुपये भी दिए जाएंगे. इस योजना में अच्छी ट्रेनिंग देने वालों को इंसेंटिव देने की भी व्यवस्था है. जब इनकी ट्रेनिंग पूरी हो जाती है तो लाभार्थी को 15 हजार रुपये भी दिए जाते हैं जिससे वह टूलकिट को खरीद सकें.
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बिना गारंटी के मिलता है लोन
इसके अलावा ट्रेनिंग पूरी होने के बाद लोन देने का भी प्रावधान है जिसमें सस्ती ब्याज दर और बिना किसी गारंटी के लोन दिया जाता है. इसमें काम के प्रति आपका जुनून देखा जाता है. यही कारण है कि पहले एक लाख रुपये तक का लोन कुछ महीनों के लिए दिया जाता है. यदि आप समय से उसे वापस कर देते हैं तो फिर आपको अतिरिक्त रूप से दो लाख रुपये तक का लोन भी दिया जाता है. इससे लोगों को लोन चुकाने के लिए भी प्रेरित होते हैं.
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इन कामों को करने वालों को मिलता है योजना का लाभ
इस योजना में पत्थर तराश, लोहार, ताला बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, फिशिंग नेट निर्माता, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाले, धोबी और दर्जी, हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, नाव निर्माता, मोची/जूता बनाने वाले कारीगर, नाई यानी बाल काटने वाले, माला बनाने वाले, टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाले, राजमिस्त्री, सुनार, गुड़िया और खिलौना निर्माता शामिल हैं. यह ऐसे काम हैं जिनमें अपने हाथों का इस्तेमाल होता है.
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