Vegetable Prices Hike: सब्जियों ने बिगाड़ा लोगों का स्वाद, जानें RBI गवर्नर ने क्या दिये संकेत
Vegetable Prices Hike: जुलाई से लगातार महंगी सब्जी खरीदने वाले लोगों के लिए राहत भरी खबर है. आरबीआई गवर्नर शशीकांत दास का मानना है कि सितंबर माह से सब्जियों के दाम अपने मूल दाम पर लौट आएंगे.
highlights
- आरबीआई गवर्नर ने बताया सितंबर में सस्ती हो जाएंगी सब्जियां
- टमाटर और प्याज ने बिगाड़ा रसोई का गणित, अब नियंत्रण में आने लगे दाम
- सितंबर से सब्जियों की मुद्रास्फीति दर काफी धीमी होने की उम्मीद
नई दिल्ली :
Vegetable Prices Hike: सब्जी महंगी होने का जो सफर जुलाई से शुरू हुआ था, अभी तक चालू है. इस बार सब्जियों ने मिडिल क्लास लोगों को जायका सबसे ज्यादा खराब किया है. क्योंकि प्याज और टमाटर के रेटों ने लोगों की थाली से स्वाद को ही गायब कर दिया. मानसून आने से एक बार फिर सब्जियों के दाम में चटकी देखने को मिल रही है. सब्जियों के बढ़ते दामों को लेकर अब आरबीआई गवर्नर का बयान भी सामने आया है. उन्होने चिंता जताते हुए राहत भरी खबर भी लोगों से साझा की है. गवर्नर शशीकांत दास ने कहा है कि सितंबर से सब्जियों के दाम अपने मूल रेट पर लौटने की पूरी उम्मीद है. उन्होने बताया कि टमाटर के दाम भी 200 रुपए किग्रा से गिरकर 50 रुपए किलो ही बचे हैं. सितंबर में दाम और कम होने की उम्मीद है.
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सितंबर से सस्ती होंगी सब्जियां
आरबीआई गवर्नर शशीकांत दास के मुताबिक टमाटर ही नहीं सितंबर से अन्य सब्जियों के दाम भी कम हो जाएंगे. क्योंकि अगस्त के लास्ट वीक में ही दामों में काफी गिरावट दर्ज होगी. उन्होने बताया कि ये अनुमान है कि ''सितंबर से सब्जियों की मुद्रास्फीति दर काफी धीमी हो जाएगी. सब्जियों और अनाजों की बढ़ती कीमतों के कारण जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.44% हो गई जो 15 महीनों में सबसे अधिक है. यह वृद्धि पिछले तीन महीनों तक 6% की ऊपरी सीमा से नीचे रहने के बाद हुई. इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों में वृद्धि थी,,.
सप्लाई सुनिश्चित होते ही मूर रेट पर लौटेंगे सब्जियों के दाम
आपको बता दें कि सरकार सब्जियों व अनाज की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है. उसी का परिणाम है कि दाम कम होने लगें हैं. जैसे ही डिमांड के हिसाब से आवक मंडियों में पहुंचने लगेगी. दाम अपने आप ही कम हो जाएंगे. दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को 4% के लक्ष्य के आसपास रखने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है. आरबीआई ने पिछली तीन मौद्रिक नीति समीक्षाओं में मुख्य नीतिगत ब्याज दर को अपरिवर्तित रखा है.
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