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पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम में निवेश से रिटायरमेंट होगा आसान, खूब मिलेगा पैसा

पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF-Public Provident Fund): पोस्ट ऑफिस के पीपीएफ अकाउंट की सबसे खास बात यह है कि इसमें बेहद कम पूंजी लगाकर भी फायदा उठाया जा सकता है. देश का कोई भी नागरिक PPF स्कीम का लाभ उठा सकता है.

Updated on: 19 Oct 2021, 08:14 AM

highlights

  • पीपीएफ अकाउंट को खुलवाने के लिए न्यूनतम 500 रुपये जमा करना होगा
  • PPF अकाउंट में अधिकतम 1.5 लाख सालाना जमा कर सकते हैं

नई दिल्ली:

पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF-Public Provident Fund): नौकरीपेशा या फिर बिजनेसमैन सभी को रिटायरमेंट के बाद अपने रोजमर्रा के खर्चों को चलाने के लिए एक मजबूत रिटायरमेंट प्लानिंग की जरूरत होती है. मौजूदा हालात को देखते हुए यह और भी जरूरी हो जाता है. हालांकि यहां पर सबसे बड़ी समस्या यह है कि कहां पर निवेश किया जाए जो सुरक्षित होने के साथ ही अच्छा रिटर्न भी दे. साथ ही रिटायरमेंट के समय इतना पैसा मिल जाए कि भविष्य में आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़े. मान लीजिए कि आपके पास रिटायरमेंट फंड को इकट्ठा करने के लिए ज्यादा पैसा नहीं है तो आपकी मदद पोस्ट ऑफिस (Post Office) बेहतर तरीके से कर सकता है. 

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500 रुपये जमा करके खोल सकते हैं अकाउंट
इंडिया पोस्ट के पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF-Public Provident Fund) में निवेश करके रिटायरमेंट के समय अच्छा खासा फंड जमा कर सकते हैं. पोस्ट ऑफिस के पीपीएफ अकाउंट की सबसे खास बात यह है कि इसमें बेहद कम पूंजी लगाकर भी फायदा उठाया जा सकता है. देश का कोई भी नागरिक PPF स्कीम का लाभ उठा सकता है. पीपीएफ अकाउंट को खुलवाने के लिए न्यूनतम 500 रुपये जमा करना होगा. PPF अकाउंट में कम से कम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख सालाना जमा किया जा सकता है.  

आयकर अधिनियम की धारा 80 C के तहत टैक्स छूट
PPF अकाउंट में जमा राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80 C के तहत टैक्स छूट उपलब्ध है. इसके अलावा खाते में अर्जित संपूर्ण ब्याज आयकर अधिनियम की धारा 10 के तहत कर मुक्त है. तीसरे वित्तीय वर्ष से लेकर छठे वित्तीय वर्ष तक खाते में से लोन की सुविधा भी मिलती है और सातवें वित्तीय वर्ष से खाते में से निकासी की जा सकती है. परिपक्वता के उपरांत खाते को 5-5 वर्ष के ब्लॉक में आगे बढ़ाया जा सकता है लेकिन इसमें प्रत्येक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम राशि जमा करना अनिवार्य है. पब्लिक प्रॉविडेंट फंड पर मिलने वाला इंट्रेस्ट फिक्स नहीं होता है. सरकार हर तीन महीने में इसके रेट की समीक्षा करती है और जरूरी होने पर इसमें बदलाव किए जाते हैं.