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सावधान! फर्जी वेबसाइट के चक्कर में ना पड़ें, वरना बैंक अकाउंट हो जाएगा खाली

डिजिटल पेमेंट के इस दौर में बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारियां हमारे स्मार्टफोन में रहती ही हैं ऐसे में आपको यह समझ होनी ही चाहिए कि बैंक से जुड़ी जानकारियों को हर जगह शेयर नहीं कर सकते.

Updated on: 02 Mar 2022, 09:34 AM

highlights

  • साइबर अपराधी किसी असल वेबसाइट के नाम या लोगो का इस्तेमाल कर सकते हैं
  • साइबर अपराधी संवेदनशील जानकारियों को कंफर्म करने का ईमेल भेज सकते हैं

नई दिल्ली:

Alert: डिजिटल दौर में साइबर अपराधी एक्टिव हो गए हैं. जहां एक ओर हर काम घर में बैठ कर स्मार्टफोन की मदद से हो रहे हैं. वहीं साइबर अपराधी मौके की फिराक में रहते हैं कि कब आपकी संवेदनशील जानकारी उनके हाथ लग जाए और वे पलक झपकते ही बैंक अकाउंट खाली कर दें. ऐसे में सुविधाओं के इस दौर में आपको इन साइबर अपराध करने वाले लोगों से बचने की जरूरत है. डिजिटल पेमेंट के इस दौर में बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारियां हमारे स्मार्टफोन में रहती ही हैं. ऐसे में आपको यह समझ होनी ही चाहिए कि बैंक से जुड़ी जानकारियों को हर जगह शेयर नहीं कर करें. साइबर अपराधी अलग-अलग तरीकों को अपना कर धोखाधड़ी करते हैं. इन्हीं में से एक तरकीब स्पूफिंग (Spoofing) है. इस तरकीब में अपराधी फर्जी वेबसाइट का इस्तेमाल कर आपके बैंक अकांउट की जानकारी हासिल कर लेते हैं और अकाउंट खाली कर देते हैं. आइए इस रिपोर्ट में समझते हैं क्या है स्पूफिंग और कैसे साइबर अपराधियों के इस जाल में फंसने से आप बच सकते हैं.

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स्पूफिंग (Spoofing) का मतलब फर्जी वेबसाइट के जरिए आपकी बैंक डिटेल्स चुराना और गलत इस्तेमाल करना है. ये फर्जी वेबसाइट देखने में असल वेबसाइट जैसी ही होती हैं. अक्सर साइबर अपराधी असल वेबसाइट के नाम, लोगो, ग्राफिक और उसके कोड का इस्तेमाल करते हैं. वे ब्राउजर विन्डो के एड्रेस फील्ड में दिखने वाले URL या नीचें सबसे दायीं तरफ दिए गए पैडलॉक आइकन की नकल करते हैं, ताकि किसी तरह फर्जी वेबसाइट को सही दिखाया जाए.कई बार ये अपराधी फर्जी वेबसाइट के लिंक वाला ईमेल भेजते हैं. इस ईमेल में आपसे बैंक से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों को कन्फर्म करने को कहा जाता है. ऐसी संवेदनशील जानकारियों में इंटरनेट बैकिंग यूजर आइडी, पासवर्ड, पिन, क्रेडिट/ डेबिट कार्ड, बैंक अकाउंट नंबर, कार्ड वेरिफिकेशन नंबर (CVV) में शामिल हो सकती हैं.

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फर्जी वेबसाइट कैसे बच सकते हैं?
अनजान लिंक्स से आने वाले ईमेल्स पर कभी भी बैंक अकाउंट की जानकारियां शेयर नहीं करना चाहिए. किसी भी वेबसाइट पर विजिट करते वक्त लिंक एड्रेस की सिक्योरिटी का ध्यान रखें, यह “https” के साथ ही शुरू होना चाहिए. वेबसाइट में पैडलॉक आइकन को याद से चेक करें. बता दें, माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्सपलोरर में ब्राउजर विन्डो में नीचे दायीं तरफ लॉक आइकन मौजूद होता है.