Utility News: आज के समय में जब सबकुछ ऑनलाइन होता जा रहा है और हर किसी को क्रेडिट कार्ड आसानी से उपलब्ध होने के दौर में इसके खतरे भी बढ़ गए हैं. जब क्रेडिट कार्ड का पेमेंट समय पर नहीं हो पाता तो बैंक इसकी एवज में लंबी-चौड़ी पैनल्टी पहले से ही लगाते आ रहे हैं लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि बैंक इस पैनल्टी को लगभग दोगुना कर सकते हैं.
दरअसल, अभी तक क्रेडिट कार्ड लेट फीस पैनल्टी के रूप में अधिकतम लिमिट 30 फीसदी तक तय की गई थी. यह लिमिट 2008 में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने तय की थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने NCDRC के इस फैसले को रद्द कर दिया है. अब बैंकिग कंपनियां 30 से 50 फीसदी तक लेट फीस पैनल्टी ले सकती हैं.
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दुनिया के अन्य देशों में कितनी लगती है पैनल्टी
गौरतलब है कि 2008 से पहले क्रेडिट कार्ड कंपनियां कुछ भी लेट फीस लगा देती हैं. इस पर 2008 में NCDRC ने क्रेडिट कार्ड की लेट पेमेंट फीस पर 30 फीसदी से ज्यादा ब्याज वसूले जाने को गलत बिजनेस प्रैक्टिस बताया था. इसके बाद लेट पेमेंट फीस के रूप में NCDRC ने 30 फीसदी ब्याज की लिमिट तय कर दी थी. NCDRC ने साल 2008 में दिए अपने फैसले में कहा था कि अमेरिका और ब्रिटेन में ब्याज दर 9.99 फीसदी से 17.99 फीसदी के बीच है. वहीं, ऑस्ट्रेलिया में यह 18 से 24 फीसदी है. फिलीपींस, इंडोनेशिया और मेक्सिको जैसे विकासशील देशों में यह 36 से 50 फीसदी है. भारत जैसे बड़े और विकासशील देश में ज्यादा ब्याज दर अपनाने का कोई औचित्य नहीं है.
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पैनल्टी की लेट फीस में किया इजाफा
NCDRC के फैसले के विरोध में स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक, सिटीबैंक, अमेरिकन एक्सप्रेस और शंघाई बैंक जैसी बैंकों ने इस पर आपत्ति जताई और सुप्रीम कोर्ट चले गए. अब सुप्रीम कोर्ट ने लेट फीस पेमेंट की लिमिट 30 की जगह 30 से 50 फीसदी तक कर दी है.
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क्या होगा असर
इस फैसले के बाद क्रेडिट कार्ड के वह कस्टमर जो जाने-अनजाने पेमेंट लेट कर देते हैं, अब वह इसकी जद में आ गए हैं.यदि जॉब में रहते हुए किसी ने क्रेडिट कार्ड लिया हो और उसकी जॉब चली जाए तो क्रेडिट कार्ड की लेट फीस पैनल्टी उसके लिए काल ही साबित हो सकती है.