PPF Scheme: 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने वाला पब्लिक प्रोविडेंट फंड आज महज 7.1 प्रतिशत का ब्याज दे रहा है. इस वजह से निवेशकों के बीच इसका क्रेज पहले जैसा नहीं रहा. पीपीएफ में हुए बदलाव मेन रीजन है. पिछले दो दशकों में बैंकों की ब्याज दरें और एफडी स्कीम्स की दरें काफी ज्यादा कम हो गईं हैं. पीपीएफ की ब्याज दरें और कम हो गई हैं.
PPF Scheme: पीपीएफ निवेश का आसान और सुरक्षित इंस्ट्रूमेंट
पीपीएफ एक छोटी बचत योजना है. सरकार इसे चलाती है. निवेशको हर वित्तीय वर्ष में 500 रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं. वहीं, अगर किसी वित्तीय वर्ष में 500 रुपये से कम का निवेश होता है तो खाता अपने आप डिएक्टिवेट हो जाता है. पीपीएफ का लॉक-इन पीरियड 15 साल का है. हालांकि, खाता को पांच साल पूरा हो जाए तो विड्रॉल की सुविधा दी जाती है. सरकारी गारंटी और टैक्स छूट जैसे फायदों के वजह से ही पूर्व में मिडिल क्लास परिवारों ने निवेशकों का भरोसा जीता था.
PPF Scheme: योजना में टैक्स बेनिफिट
इस योजना के तहत निवेशकों को टैक्स बेनिफिट मिलता है. आसान भाषा में बताएं तो योजना में निवेश करने पर इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत छूट मिलती है. खास बात है कि ब्याज पर भी कोई टैक्स नहीं लगता. मैच्योरिटी राशि पूरी तरह टैक्स फ्री होती है.
PPF Scheme: ब्याज दरों में हो रही है भारी गिरावट
1990 के दशक में पीपीएफ पर 12 प्रतिशत का ब्याज मिलता था. हालांकि, समय बदलने के साथ-साथ ब्याज दरें लगातार घटती रहीं. साल 2000 में पीपीएफ की ब्याज दर में पहली बार एक प्रतिशत की गिरावट हुई. वहीं, 2001 में 9.5 प्रतिशत ब्याज दर हो गई. 2002 में पीपीएफ पर नौ प्रतिशत तो 2003 में पीपीएफ पर आठ प्रतिशत का ब्याज दर मिल रहा था. घटते-घटते ब्याज दर 2016 में 7.6 प्रतिशत हो गई. वहीं, 2020 में 7.1 प्रतिशत हुई, जो अब तक 7.1 प्रतिशत ही है.