Utility News: हाल ही में पीएम मोदी ने बताया था कि डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से भारतीयों की जेब से 120 करोड़ रुपये यूं ही निकल गए. ऐसे में यह जानना जरूरी हो गया है कि आखिर आज के डिजिटल युग में हम डिजिटल अरेस्ट से कैसे बच सकते हैं. इस बारे में आज हम विस्तृत तरीके से आपको बताने जा रहे हैं.
दरअसल, नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने देश में ऑनलाइन फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं और खतरे के बारे में एक एडवाइजरी जारी की है. ये एडवाइजरी ऑनलाइन पेमेंट यूजर्स के लिए की गई है. NPCI ने बताया है कि देश इस समय डिजिटल फर्स्ट की ओर जा रहा है और डिजिटल पेमेंट अब देश के हर कोने में हो रहा है. ऐसे में कई ऑनलाइन ठग अब इसी को अपना हथियार बना रहे हैं और अलग-अलग तरीकों से ठग रहे हैं. इन्हीं में से एक तरीका है डिजिटल अरेस्ट.
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यूपीआई आइडी के माध्यम से पैसे देने के लिए मजबूर
डिजिटल अरेस्ट में कोई शख्स पुलिस, सीबीआई, इनकम टैक्स ऑफिसर या कस्टम एजेंट जैसी सरकारी एजेंसी होने को दावा करती हैं और उनकी बैकग्राउंड में वैसा ही सेटअप होता है. डिजिटल अरेस्ट करने वाली गैंग के पास शिकार की पूरी डिटेल्स रहती है. यह कुछ इस तरह से मानसिक गेम खेलते हैं कि आम आदमी इनके झांसे में आ जाता है और यूपीआई आइडी के माध्यम से इन्हें पैसे देने के लिए मजबूर हो जाता है.
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पर्सनल और फाइनेंशियल जानकारी शेयर नहीं करनी
इससे बचने का तरीका बहुत सरल है कि वॉट्सऐप, फेसबुक या इंस्टाग्राम पर आने वाले किसी भी संदिग्ध कॉल को उठाना नहीं है और अगर फोन उठा भी लिया है तो अपनी पर्सनल और फाइनेंशियल जानकारी शेयर नहीं करनी है, चाहे कितना भी प्रेशर क्यों न हो. अगर आपको जरा भी शक होता है तो फोन तुरंत काट देना चाहिए और लंबी बातचीत करने से बचना चाहिए चाहे कोई कितना भी फोर्स क्यों न करे. आजकल हर फोन में ट्र-कॉलर आता ही है तो इस पर नंबर डालकर वेरीफाई कर सकते हैं कि आखिर कॉल आ कहां से रही है.
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