अगर आप नौकरी कर रहे हैं तो एम्पलाई प्रोविडेंट फंड वेतन से जुड़ा एक पार्ट है जो एक कर्मचारी के बचत का बड़ा साधन है. इस स्कीम की मदद से एक कर्मचारी को वेतन में बचत का लाभ मिलता है. मगर क्या आपको मालूम है कि ईपीएफ हर कर्मचारी के लिए आप्शनल पार्ट है यानि आप चाहें तो इसे कटा सकते है या नहीं भी. ईपीएफ में तीन पार्ट होते हैं. इसमें प्राविडेट फंड स्कीम, पेंशन स्कीम, इंम्लाई डिपाजिट लिंक इन्शोरेंस स्कीम शामिल है.
आपकी जो भी सैलरी है, उसमें वेतन का 12 प्रतिशत कटता है. यह तीनों स्कीम में पैसा जाता है. वहीं 12 प्रतिशत आपका एम्पलायर देता है. यानि 24 प्रतिशत कहां जाता है. ये जाननें की कोशिश करते हैं. दरअसल, सीटीसी मॉडल में एम्पलायर दोनों चीजें वेतन में जोड़ देता है. मान लेते हैं किसी की बेसिक सैलरी 10 हजार है. अगर 12 प्रतिशत देखें तो 1200 कटता है. वहीं 1200 रुपये एम्पलायर जोड़ेगा. कटने के बाद आठ हजार आठ सौ रुपये वेतन में मिलेगा.
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इश्रारेंस पर एक प्रतिशत मिलेगा
इसमें से पीएफ फंड में 1567 और पेंशन फंड में 833 रुपये जमा होंगे. वहीं इश्रारेंस पर एक प्रतिशत मिलेगा. पीएफ वाले पार्ट पर आपको इंटरेस्ट मिलेगा. वहीं पेशन वाला पार्ट लॉक रहेगा. ये आपको 50 वर्ष की आयु में मिलता है. वहीं अगर बेसिक सैलरी 15000 रुपये है तो 12 प्रतिशत पर 1800 रुपये है. वहीं इंप्लायर का जो 1800 रुयए है, उसमें 1250 रुपये पेंशन में, वहीं 150 इश्रोरेंस में जमा होगा. 25 हजार हजार की बेसिक सैलरी पर इसी तरह से देखा जा सकता है.
पीएफ का पैसा निकालना काफी आसान हो चुका है
कंपनी अक्सर इसे आप्शनल नहीं बताती है. पीएफ बड़ी सैलरी वालों को ज्यादा फायदा देती है. इसकी वजह ये है कि ज्यादा सैलरी वाले अपनी पूरी बेसिक सैलरी जमा करा देते हैं. इससे उन्हें टैक्स में रिबेट मिलता है. इसमें जो इंटरेस्ट मिलता है यह पूरी तरह से टैक्स फ्री है. आजकल पीएफ का पैसा निकालना काफी आसान हो चुका है. ऐसे में आपको विदड्रॉल आसानी से मिलता है. दो माह तक अगर पीएफ में कॉट्रब्यूशन नहीं हो रहा है तो आप आसानी से पूरा पैसा निकाल सकते हैं. ऐसे में आपका पीएफ में पैसा रखना फायदेमंद है.