Vande Bharat: हावड़ा स्टेशन पर फंसी वंदे भारत एक्सप्रेस, 10 मिनट तक नहीं खुले दरवाजे, अंधेरे में घबराए यात्री

गया से हावड़ा पहुंची वंदे भारत एक्सप्रेस में तकनीकी खराबी के कारण 10 मिनट तक दरवाजे नहीं खुले. एसी और लाइट बंद होने से यात्री घबरा गए. बाद में दरवाजे मैनुअली खोले गए.

गया से हावड़ा पहुंची वंदे भारत एक्सप्रेस में तकनीकी खराबी के कारण 10 मिनट तक दरवाजे नहीं खुले. एसी और लाइट बंद होने से यात्री घबरा गए. बाद में दरवाजे मैनुअली खोले गए.

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Deepak Kumar
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मामला पश्चिम बंगाल का है. रात के करीब 10:30 बजे की बात है. गया से हावड़ा जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस अपनी मंजिल हावड़ा स्टेशन पर पहुंच चुकी थी. जैसे ही ट्रेन रुकी, पीए सिस्टम पर घोषणा हुई- ‘दरवाजे दाहिनी ओर खुलेंगे.’ यात्री कतार में लगकर दरवाजे खुलने का इंतजार करने लगे. लेकिन 10 मिनट बीत जाने के बाद भी दरवाजे नहीं खुले.

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धीरे-धीरे यात्रियों में बेचैनी बढ़ने लगी. किसी ने इमरजेंसी बटन दबाया, लेकिन कोई मदद नहीं पहुंची. यात्रियों ने पैंट्री कार कर्मचारियों से सहायता मांगी, मगर उन्होंने भी असमर्थता जता दी. तभी अचानक कोच की एसी और लाइटें बंद हो गईं. पूरा डिब्बा अंधेरे में डूब गया. बच्चों ने रोना शुरू कर दिया, महिलाएं घबरा गईं और कोच में दहशत का माहौल बन गया.

काफी देर बाद ट्रेन का पीए सिस्टम दोबारा चालू हुआ और घोषणा हुई- ‘यात्रीगण घबराएं नहीं, ट्रेन के दरवाजे मैनुअली खोले जाएंगे.’ कुछ समय बाद रेलवे स्टाफ ने दरवाजे हाथ से खोल दिए और यात्रियों ने राहत की सांस ली.

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यात्री ने शेयर की वीडियो, व्यवस्था पर उठाए सवाल

राणा नाम के एक यात्री, जो धनबाद से हावड़ा तक सफर कर रहे थे, ने इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में Twitter) पर शेयर किया. उन्होंने सवाल उठाया- ‘रेलवे कर्मचारी आपातकालीन स्थिति में क्या करेंगे, अगर उन्हें ट्रेन के बेसिक सेफ्टी प्रोटोकॉल की जानकारी ही नहीं है?’ इस पर पूर्व रेलवे ने कहा कि मामला संबंधित अधिकारियों को भेज दिया गया है.

राणा ने अपने सफर के अनुभव भी साझा किए. उन्होंने बताया कि वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेन में भी माहौल सामान्य पैसेंजर ट्रेनों जैसा था. कई यात्री तेज आवाज में रील्स और वीडियो देख रहे थे, कुछ फोन पर जोर-जोर से बात कर रहे थे. पैंट्री कार स्टाफ ने एसी कोच के दरवाजे खोल रखे थे, जिससे ठंडा माहौल भी गर्म हो गया था.

उन्होंने यह भी बताया कि ट्रेन में दिए गए हेल्पलाइन नंबर पर कई बार कॉल करने की कोशिश की, लेकिन हर बार नंबर व्यस्त ही मिला. इस घटना ने न सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं, बल्कि रेलवे के आपातकालीन इंतजामों की हकीकत भी उजागर कर दी है.

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