Kolkata Divorce Case: इन दिनों पति-पत्नी के बीच तलाक जैसे आम बात हो गई है. इस वजह से कई ऐसे लोगों को भी कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं, जो असल जिंदगी में अपनी शादीशुदा लाइफ से परेशान होते हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल ही तलाक पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा था कि अब तलाक के लिए वेडिंग पीरियड की जरूरत नहीं है, लेकिन बावजूद इसके लोग सालों तक तलाक के लिए और नई जिंदगी के लिए कोर्ट का चक्कर लगाते रह जाते हैं.
तलाक केस में हाई कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
ताजा मामला पश्चिम बंगाल के कोलकाता का है, जहां करीब 16 साल से चल रहे तलाक केस पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. हाल ही में बेंगलुरु में एआई इंजीनियर के रूप में काम कर रहे अतुल सुभाष ने 90 मिनट का वीडियो बनाकर और 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली. अतुल ने बताया कि कैसे उसकी पत्नी निकिता सिंघानिया और ससुरालवाले उसे पिछले कुछ सालों से मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं. उसकी पत्नी ने उस पर 9 झूठे केस भी लगा दिए हैं. जिसकी वजह से अतुल को बार-बार अदालत की सुनवाई के लिए बेंगलुरु से जौनपुर जाना पड़ रहा था. इस बीच 19 दिसंबर को कोलकाता हाई कोर्ट ने एक पत्नी को फटकार लगाते हुए पति को तलाक दे दिया.
16 साल से तलाक के लिए लगा रहा था कोर्ट के चक्कर
15 दिसंबर, 2005 में इस जोड़े की शादी हुई थी. शादी के बाद से उसकी पत्नी हमेशा अपनी दोस्त और परिवारवालों को ससुराल में बुलाकर रखती थी. कुछ दिनों तक पति ने कुछ नहीं बोला, लेकिन बाद में जब उसकी इच्छा के खिलाफ जाकर भी पत्नी ने कई महीने तक अपने परिवारवालों और दोस्त को घर में बुलाकर रखा.
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पति की इच्छा के खिलाफ दोस्त और घरवालों का रखा साथ
इससे परेशान होकर पति ने 25 सितंबर, 2008 को निचली अदालत में तलाक का मुकदमा दायर किया. पति के तलाक का मुकदमा दर्ज करते ही पत्नी ने उसके खिलाफ अक्टूबर, 2008 में वैवाहिक क्रूरता का झूठा केस लगा दिया. वहीं, तलाक पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत ने इसे खारिज कर दिया था. जिसके बाद पति ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
पत्नी को बीच कोर्ट में लगाई फटकार
19 दिसंबर को इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य और जस्टिस उदय कुमार की बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और कोर्ट में ही पत्नी को फटकार लगाई. निचली अदालत के फैसले को गलत बताते हुए कोर्ट ने तलाक की अर्जी स्वीकार कर ली. साथ ही यह भी कहा कि पति की इच्छा के खिलाफ दोस्त को घर में रखना मानसिक उत्पीड़न की श्रेणी में आता है.