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गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बिमल गुरुंग बुधवार से करेंगे भूख हड़ताल

पश्चिम बंगाल सरकार ने जून 2022 में सिलीगुड़ी महकमा परिषद और गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन का चुनाव कराने के ऐलान के साथ ही गोरखालैंड की राजनीति गरमा गई है.

पश्चिम बंगाल सरकार ने जून 2022 में सिलीगुड़ी महकमा परिषद और गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन का चुनाव कराने के ऐलान के साथ ही गोरखालैंड की राजनीति गरमा गई है.

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Pradeep Singh
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BIMAL GURUNG

बिमल गुरुंग( Photo Credit : TWITTER HANDLE)

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बिमल गुरुंग गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन चुनाव व अन्य मुद्दों के विरोध में बुधवार 25 मई से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे. जीटीए के चुनाव अगले महीने होने हैं. पश्चिम बंगाल सरकार ने जून 2022 में सिलीगुड़ी महकमा परिषद और गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (Gorkhaland Territorial Administration) का चुनाव कराने के ऐलान के साथ ही गोरखालैंड की राजनीति गरमा गई है. हालांकि अभी चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन जीटीए चुनाव को लेकर दार्जिलिंग की राजनीति गरमा गई है. गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बिमल गुरुंग (Gorkha Janmukti Morcha Bimal Gurung) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर दार्जिलिंग समस्या का राजनीतिक समाधान करने की मांग दोहराई है. 

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बता दें कि बिमल गुरुंग ने विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी से नाता तोड़ कर टीएमसी (TMC Mamata Banerjee) से हाथ मिलाया था. लेकिन बिमल गुरुंग ने सीएम ममता बनर्जी को पत्र में  लिखा कि गोरखा जनजातियों में से 11 उन राजनीतिक समाधानों में से एक हैं, जिनके बारे में तृणमूल ने बात की है. उन्हें अनुसूचित जनजातियों में शामिल किए जाने की मांग की है. पत्र में कहा गया था कि साल 2011 में त्रिपक्षीय समझौते के एक से अधिक पहलुओं को लागू नहीं किया गया था, जिनमें से एक गोरखासी के रहने वाले 397 मौजा हैं, जिन्हें जीटीए को शामिल करना है. बिमल गुरुंग ने समझौते लागू होने तक जीटीए चुनाव स्थगित रखने की गुहार लगाई थी. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में लिखा कि समझौतों के लागू होने के बाद ही चुनाव होने चाहिए.

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साल 2017 में पहाड़ी विकास योजना में कलिम्पोंगम्पों को दार्जिलिंग के अलावा एक अलग जिले का दर्जा दिया गया था. उन्हें GTA, गोरखा प्रादेशिक प्रशासन के तहत रखा गया था. कलिम्पोंगम्पों के विधायक रुडेन लेप्चा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि जीटीए के तहत कोई सुधार नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अलग जिले बनने के बाद विकास की काफी उम्मीद है, लेकिन पिछले 5 सालों में उन्हें निराश किया.

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