ममता बनर्जी को मिली राहत, हाईकोर्ट का भवानीपुर उपचुनाव पर रोक लगाने से इंकार
चुनाव आयोग ने मतदान की पूरी तैयारी कर ली है. 30 सितंबर को वोट डाले जाने हैं. मतदान के दौरान भवानीपुर में 15 कंपनी केंद्रीय बल की तैनाती की जाएगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 30 सितंबर को यहां से चुनाव लड़ेंगी.
highlights
- कलकत्ता हाईकोर्ट ने भवानीपुर चुनाव पर रोक लगाने से किया इंकार
- 30 सितंबर को भवानीपुर में डाले जाएंगे वोट
- ममता बनर्जी भवानीपुर से लड़ रही हैं चुनाव
नई दिल्ली :
कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी को राहत दिया है. हाईकोर्ट ने भवानीपुर उपचुनाव ((Bhawanipur By-Election) पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. यहां 30 सितंबर को वोटिंग होनी है. भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) में दायर याचिका खारिज हो गई है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने इलेक्शन कराने की मंजूरी दे दी है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की पीठ ने चुनाव पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दी है. इधर, चुनाव आयोग ने मतदान की पूरी तैयारी कर ली है. 30 सितंबर को वोट डाले जाने हैं. मतदान के दौरान भवानीपुर में 15 कंपनी केंद्रीय बल की तैनाती की जाएगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 30 सितंबर को यहां से चुनाव लड़ेंगी.
वहीं, चुनाव आयोग की मानें तो तीन विधानसभा क्षेत्रों में कुल 52 कंपनी केंद्रीय दोनों की तैनाती हुई है. जिनमें से अकेले भवानीपुर में 15 कंपनी केंद्रीय बलों की तैनाती होगी जबकि 18 कंपनियों को जंगीपुर में और 19 कंपनियों को शमशेरगंज में तैनात किया जाएगा. भवानीपुर में आठ वार्डों में कुल 287 मतदान केंद्र बनाए गए हैं.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव की अनिवार्यता पर उठाया था सवाल
बता दें कि इससे पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने शुक्रवार (25 सितंबर) को उपचुनाव की अनिवार्यता पर सवाल उठाया था. बिंदल और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा जनहित याचिका में दायर हलफनामे को भी रिकॉर्ड में लेने से इनकार कर दिया था.
उपचुनाव नहीं हुआ तो एक संवैधानिक संकट पैदा होगा
पीठ भवानीपुर में उपचुनाव कराने के लिए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव से चुनाव आयोग द्वारा प्राप्त विशेष अनुरोध को रेखांकित करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.मुख्य सचिव ने चुनाव आयोग को संबोधित पत्र में उल्लेख किया था कि अगर भवानीपुर में तत्काल उपचुनाव नहीं हुआ तो एक संवैधानिक संकट पैदा होगा.
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इस चुनाव का खर्च कौन उठाएगा?
पीठ ने पूछा, कुछ लोग चुनाव लड़ते हैं और जीत जाते हैं और फिर वे विभिन्न कारणों से इस्तीफा दे देते हैं. अब कोई किसी को फिर से सीट से जीतने का मौका देने के लिए इस्तीफा दे रहा है. इस चुनाव का खर्च कौन उठाएगा? इस चुनाव के लिए करदाताओं का पैसा क्यों खर्च किया जाना चाहिए.कोर्ट ने पोल पैनल से जानना चाहा कि सिर्फ भवानीपुर में ही उपचुनाव की अनुमति क्यों दी गई और आयोग ने ऐसा क्यों सोचा कि अगर वहां तुरंत उपचुनाव नहीं कराया गया तो इससे संवैधानिक संकट पैदा हो जाएगा.
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